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छत्तीसगढ : नक्सली हमले में CRPF के 26 जवान शहीद, 8 लापता - Sabguru News
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छत्तीसगढ : नक्सली हमले में CRPF के 26 जवान शहीद, 8 लापता

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छत्तीसगढ : नक्सली हमले में CRPF के 26 जवान शहीद, 8 लापता
24 CRPF personnel killed in maoist encounter in Chhattisgarh
24 CRPF personnel killed in maoist encounter in Chhattisgarh
24 CRPF personnel killed in maoist encounter in Chhattisgarh

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सोमवार को हुए इस वर्ष के सर्वाधिक रक्तरंजित नक्सली हमले में सीआरपीएफ के कम से कम 26 जवान शहीद हो गए, और छह जवान घायल हो गए। घायलों का रायपुर के दो अस्पतालों में इलाज चल रहा है। आठ जवान लापता बताए जा रहे हैं जिसमें सीआरपीएफ का एक कमांडर शामिल है।

नक्सली शहीद जवानों के हथियार लूट ले गए हैं। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और शहीद जवानों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने कहा है कि यह घातक हमला अपराह्न् 12.30 बजे उस समय हुआ, जब 14वीं बटालियन चिंतागुफा के पास दोरनापाल के जंगली इलाके में पहुंची थी।

सीआरपीएफ के उपमहानिरीक्षक एम. दिनाकरन ने कहा कि सबसे पहले 11 शव बरामद हुए और 12वें जवान ने यहां एक अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। उसके बाद इलाके में चलाए गए तलाशी अभियान में 12 और शव बरामद हुए।

बस्तर के आईजी विवेकानंद सिन्हा ने कहा कि कोबरा बटालियन की टीम अभी भी मौके पर मोर्चा संभाले हुए है। दो शहीद जवानों के शव वहां और पाए गए हैं। इससे शहीदों की संख्या बढ़कर 26 हो गई।

सिन्हा ने कहा कि अत्याधुनिक हथियारों से लैस लगभग 300 नक्सलियों ने दोरनापाल में अपराह्न् 1.30 बजे सीआरपीएफ के जवानों पर घात लगाकर हमला किया। इसमें 26 जवान शहीद हो गए और 6 जवान घायल हुए हैं। तीन घायलों को रायपुर के रामकृष्ण केयर अस्पताल और तीन को बालाजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

सिन्हा ने कहा कि इस दौरान जवानों ने भी करीब एक दर्जन नक्सलियों को मार गिराया है।आईजी ने कहा कि हमले में बड़ी संख्या में महिला नक्सली भी शामिल थीं। इनके पास पहली बार अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर जैसे घातक हथियार भी थे। जिसके कारण नक्सलियों ने वहां जमकर तबाही मचाई।

इलाज के लिए रायपुर लाए गए घायल जवान शेख मोहम्मद ने भी ऐसा ही दावा किया है। उन्होंने कहा कि रोड ओपनिंग के लिए सीआरपीएफ के 74वीं बटालियन के कुल 90 जवान निकले थे। नक्सलियों ने दो अलग-अलग जगहों पर घात लगा रखा था। हमला इतना जोरदार था कि जवानों को संभलने का मौका नहीं मिला।

मोहम्मद ने कहा कि तीन घंटे तक लगातार गोलीबारी जारी रही। कथित तौर पर नक्सलियों ने इस दौरान बारुदी सुरंग में भी विस्फोट किया। हमले में घायल एक जवान ने कहा कि नक्सलियों के हमले का तरीका बिल्कुल पुराना था।

उन्होंने कहा कि इस बार भी उन लोगों ने ग्रामीणों को ही अपना ढाल बनाया। उन्हीं के माध्यम से रेकी करवाई और इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दिया। हालांकि हमने भी नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया और 12 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया है।

उल्लेखनीय है कि इसके पहले 2010 में इसी इलाके से थोड़ी दूर चिंतागुफा नामक स्थान पर नक्सली हमले में 76 जवान शहीद हुए थे। उसके बाद से अब तक का यह दूसरा सबसे बड़ा हमला है।

हमले की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह अपना दिल्ली दौरा बीच में छोड़कर छत्तीसगढ़ के लिए रवाना हो गए।

मुख्यमंत्री के निजी सचिव आनंद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि घटना की जानकारी जैसे ही मुख्यमंत्री को दी गई, उन्होंने अपना दौरा बीच में छोड़ दिया और दिल्ली से रायपुर रवाना हो गए।

सोलंकी ने कहा कि शहीद जवानों का शव हेलीकॉप्टर से रायपुर लाया जाएगा, जहां उन्हें अंतिम सलामी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी मंगलवार को रायपुर आ रहे हैं, और वह यहां से सुकमा भी जा सकते हैं।

राष्ट्रपति ने एक ट्वीट में कहा कि छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ जवानों पर हमले की कड़ी निंदा करता हूं। शहीदों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं और घायलों के लिए प्रार्थना करता हूं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नक्सली हमले को कायरतापूर्ण और निंदनीय कहा है। उन्होंने ट्वीट किया कि हमें सीआरपीएफ के अपने जवानों के पराक्रम पर गर्व है। मृतकों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। उनके परिवार वालों के प्रति सहानुभूति। ईश्वर हमले में शहीद जवानों को जल्द से जल्द स्वस्थ करें।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया कि छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सली हमले में सीआरपीएफ के जवानों की मौत की खबर सुनकर अत्यंत पीड़ा हुई है। शहीदों को मेरी श्रद्धांजलि और उनके परिवार वालों के प्रति सहानुभूति।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नक्सली हमले की निंदा की, और 26 जवानों की मौत को ‘देश के लिए बड़ा नुकसान’ बताया।

सोनिया ने एक बयान में कहा कि हमारे बहादुर जवानों की शहादत देश के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। इस तरह के हमले हमें चरमपंथ के खिलाफ लड़ाई से कभी नहीं डिगा सकते।

सोनिया ने शहीद जवानों के परिवार वालों के प्रति एकजुटता व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।

शहीदों के नाम

रघुवीर सिंह, केके दास, संजय कुमार, रामेश्वर लाल, नरेश कुमार, सुरेंद्र कुमार, बन्नाराम, एलपी. सिंह, नरेश यादव, पद्मनाभम, सौरभ कुमार, अभय मिश्रा, बनमाली राम, एन.पी. सोनकर, के.के. पाण्डेय, विनय चंद्र बर्मन, पी. अलगूपंड, अभय कुमार, सेंथिल कुमार, थिरु मुरुगन,रंजीत कुमार, आशीष सिंह, मनोज कुमार, अनूप कर्माकर और राम मेहर बताए जाते हैं।

घायलों के नाम

आर.सी. हेम्ब्रम, महेंद्र सिंह, सौरभ कुमार, जितेंद्र कुमार, शेर मोहम्मद , सोनवानी ईश्वर सुरेश और लच्छू उरांव।

सप्ताह भर पहले बनी थी योजना

जवानों के ट्रैप करने के लिए नक्सलियों ने कई दिनों पहले ही पूरी प्लानिंग कर ली थी, लेकिन वो सही समय और मौके के इंतजार में थे। सूत्रों के अनुसार हमले के वक्त 300-350 से अधिक नक्सली मौजूद थे, जो अत्याधुनिक हथियारों से लैस थे। नक्सलियों के पास मोर्टार और यूजीबीएल भी मौजूद था। तो वहीं इनमें 75 प्रतिशत महिला नक्सली बताई जा रही हैं।

कंपनी नंबर एक का कारनामा

भरोसेमंद सूत्रों की मानें तो इस घटना को नक्सलियों कि मिल्रिटी बटालियन की कंपनी नंबर एक ने अंजाम दिया है और इस पूरे हमले का नेतृत्व नक्सली नेता सीटू ने किया है। इस इलाके की पूरी कमान वैसे तो हिड़मा के हाथों में है और हिड़मा ही इलाके में लीड करता है लेकिन इसके अलावा अर्जुन और सीटू उर्फ सोनू भी यहां सक्रिय हैं।

कैंपों के बावजूद एंबुश में फंसे जवान

बुरकापाल के निकट जिस स्थान पर जवान नक्सलियों के एंबुश में फंसे थे, उसके आसपास सुरक्षा बलों के कई कैंप हैं। बताया जा रहा है कि यहां हर पांच किमी में एक कैंप है। ऐसे में नक्सलियों ने चिंतागुफा थाने से महज डेढ़ किलोमीटर दूर ही जवानों को फंसाने के लिए एंबुश लगाया था।

मंगलवार को लाए जाएंगे शव

मुठभेड़ स्थल धुर नक्सल प्रभावी दुर्गम क्षेत्र है और अंधेरा घिर आया है इसीलिए फिलहाल शहीदों के शव को लाना सुरक्षा के दृष्टिकोण से संभव नहीं है। इस स्थल पर हेलीकॉप्टर उतारना भी संभव नहीं है।