सूरत। भाठेना क्षेत्र के जरदोशी कारखानों से 25 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया है। इस क्षेत्र के कई कारखानों में बाल श्रमिक होने की सूचना पर सोमवार को श्रम विभाग और चाइल्ड हेल्पलाइन के सदस्यों ने छापा मारकर बच्चों को मुक्त कराया। सभी बच्चे बिहार के कटिहार जिले से कांट्रेक्टर के जरिए लाए गए थे। इनकी उम्र आठ से 14 साल बताई गई है।
बाल श्रम उन्मूलन अभियान के तहत 14 साल से कम उम्र के बच्चों से काम कराना गैर कानूनी है। शहर में इस कानून का उल्लंघन सरेआम देखा जाता है। चाय की दुकानों, रेस्टोरेंट, खाद्य पदार्थ बेचने वाली लारियों सहित कारखानों में बच्चों से श्रम कराने के मामले सामने आते रहते हैं। खासकर जरदोशी के बारीक काम में बच्चों की बहुतायत देखी जाती है, क्योंकि बच्चे मुलायम हाथों से डिजाइन पर आसानी से काम कर लेते हैं।
श्रम विभाग के फील्ड ऑफिसर दिव्येश चौधरी ने बताया कि भाठेना-एक क्षेत्र में चार जगह छापा मारकर 25 बच्चों को मुक्त कराया गया। सभी को कतारगाम स्थित चिल्ड्रन होम भेजकर उनके अभिभावकों को सूचना भेजने की कार्रवाई शुरू की गई है। बच्चों को काम पर रखने वाले कारखाना मालिकों पर भी कानूनी कार्रवाई को लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
छापे के दौरान एक कारखाने से 11, दूसरे से नौ, तीसरे से चार और चौथे कारखाने से एक बाल श्रमिक को मुक्त कराया गया। यहां छह महीने से अधिक अवधि से काम कर रहे बच्चों को रोजाना सौ से डेढ़ सौ रुपए दिए जा रहे थे, जबकि महीना-डेढ़ महीने से काम करने वाले बच्चों को प्रशिक्षु के तौर पर रखा गया था।
इन्हें मामूली रकम दी जा रही थी। काम का समय भी रोज 10 से 12 घंटे से अधिक था। छापे के दौरान श्रम विभाग के इंस्पेक्टर वी.बी.वैद्य, चाइल्ड लाइन की हेमाक्षी, पूजा और रेखा आदि मौजूद थीं।