वाशिंगटन। विश्व बैंक का कहना है कि भारत में वर्ष 2030 तक साढ़े चार करोड़ अतिरिक्त लोग गरीबों की श्रेणी में आ सकते हैं जो अभी गरीब नहीं हैं।
वैश्विक संस्था ने ‘शॉक वेब्स: मैनेजिंग द इंपैक्ट्स ऑफ क्लाइमेट चेंज ऑन पोवर्टी’ नामक अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यदि जलवायु परिवर्तन इसी प्रकार जारी रहा तो अतिवृष्टि, अनावृष्टि तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं और नई बीमारियों के कारण बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा से नीचे चले जायेंगे। इसमें कहा गया है कि अकेले भारत में साढ़े चार करोड़ अतिरिक्त लोग वर्ष 2030 तक गरीबी रेखा के नीचे पहुंच सकते हैं।
इसका मुख्य कारण कृषि में होने वाला नुकसान और बढ़ती बीमारियों का बढ़ना होगा। इस रिपोर्ट में देश के गरीब इलाकों में किये गये सर्वेक्षण के आधार पर बताया गया है कि गरीबी रेखा से ऊपर रह रहे लोगों के गरीब होने का मुख्य कारण इलाज पर होने वाला खर्च है। इसके बाद दूसरे स्थान पर प्रियजनों के अंतिम संस्कार में होने वाला खर्च है।
उल्लेखनीय है कि गरीब लोग इन दोनों जरूरतों के लिए अक्सर कर्ज लेते हैं और ग्रामीण इलाकों में कई किसान अपना खेत बेच कर इन जरूरतों को पूरा करता है या महाजन का कर्ज चुकाते हैं। सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले गुजरात के 85 प्रतिशत परिवारों ने इलाज और 50 प्रतिशत ने अंतिम संस्कार के खर्च को अपने गरीब होने का कारण बताया।
राजस्थान में तकरीबन 60 प्रतिशत परिवारों ने इलाज और लगभग 35 प्रतिशत ने अंतिम संस्कार को अपनी गरीबी का कारण बताया, जबकि आंध्र प्रदेश में ऐसा कहने वाले परिवारों की संख्या क्रमश: 75 प्रतिशत तथा 25 प्रतिशत के आसपास रही है।