सीहोर। अपर सत्र न्यायाधीश ने सामूहिक बलात्कार के मामले में गुरूवार को चार लोगों को विभिन्न धाराओं में 10-10 वर्ष की कठोर कारावास और अर्थदंड से दंडित किया है।
जिस मामले में कारावास व अर्थदंड सुनाया गया है। उसमें घटना इस प्रकार है कि 3 मार्च 2010 को आरोपी महेन्द्र के साथ अभियोक्त्री परमार धर्मशाला उज्जैन में सगाई हुई थी। उसे विवाह की प्रवंचना देकर उसके साथ उसकी सहमति के बगैर उसकी इच्छा के विरुद्ध बलात्संग किया। इसी प्रकार कई बार उसके साथ विवाह का प्रवंचना देकर बलात्संक करता रहा है।
अभियुक्त धर्मराजा एवं अभियुक्ता लक्ष्मीबाई आरोपी महेन्द्र का बहनोई है। अभियोक्त्री को अपने विश्वास में लेते हुए परमार धर्मशाला उज्जैन में ले जाकर छोड़ा जहां आरोपी महेन्द्र के अपराध करने हेतु सहयोग किया एवं सामूहिक बलात्संग किया। रामसेवक को दहेज की मांग करने के अपराध में दोषी पाते हुए धारा 4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत 6 माह एवं 10 हजार रूप्ए के अर्थदंड से दंडित किया गया है।
गुरूवार को न्यायालय के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश राकेश श्रोत्रिय द्वारा एक प्रकरण एसटी-122/2014 में आरोपीगण महेन्द्र, धर्मराज, लक्ष्मीबाई, रामसेवक निवासी कालापीपल जिला शाजापुर को न्यायालय द्वारा महेन्द्र एवं धर्मराज को 10 वर्ष का कारावास एवं 10-10 हजार, अभियुक्त लक्ष्मीबाई को 7 वर्ष एवं 5 हजार रूपए अर्थदंड, रामसेवक को धारा 4 दहेज प्रतिषेध के तहत 6 माह एवं 10 हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित किया गया है।
उक्त प्रकरण में पैरवी शासकीय अतिरिक्त लोक अभियोजक रेखा चौरसिया द्वारा की गई।