लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शिया वक्फ बोर्ड में हुए कथित घोटाले की जांच को लेकर सियासत गरमा गई है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने शिया वक्फ बोर्ड के छह सदस्यों को पद से हटा दिया है।
हटाए गए सदस्यों में पूर्व राज्यसभा सांसद अख्तर हसन रिज़वी, मुरादाबाद के सैय्यद वली हैदर, मुज़फ्फरनगर की अफशा ज़ैदी, बरेली के सय्यद अजीम हुसैन, शासन में विशेष सचिव नजमुल हसन रिज़वी और आलिमा जैदी शामिल हैं।
इनको पूर्व की सपा सरकार ने मई 2015 में नामित किया था। वहीं, दूसरी ओर वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार को लेकर आज़म खान और उनकी पत्नी के सीबीआई जांच की जद में आने के आसार हैं।
जौहर यूनिवर्सिटी में वक्फ की जमीन रजिस्ट्री कराने और प्रभाव का इस्तेमाल कर शत्रु संपत्ति को जौहर यूनिवर्सिटी में शामिल करने के मामले में सीबीआई आज़म खान की भूमिका की जांच करेगी। सेंट्रल वक्फ कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में आजम खान की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
इस बीच अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच कराए जाने की मांग की है, वहीं दूसरी तरफ घोटाले और भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद अध्यक्ष वसीम रिजवी खुलकर सामने आ गए हैं।
उन्होंने कहा कि वह खुद चाहते हैं कि पूरे मामले की सीबीआई से जांच हो। वसीम रिजवी ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि मैंने कई बार सीएम योगी से मुलाकात कर वक्फ बोर्ड की जांच करवाने की मांग की। मैंने कोई अवैध कब्जा या घोटाला नहीं किया। सरकार जिस भी स्तर से जांच करवाना चाहे वह करवा सकती है।
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि जब जांच होगी तो सबसे पहले यूपी सरकार के मंत्री मोहसिन रजा फंसेंगे, क्योंकि चौक स्थित पुरानी मोती मस्जिद की जमीन पर अवैध कब्जा करके मोहसिन रजा ने अपना घर बनवाया है।