नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने 65 साल के एक व्यक्ति को एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म का प्रयास करने के आरोप में सात साल की सजा सुनाई है और कहा कि अपराध से पीडि़त का मन और आत्मा पर गंभीर असर पड़ा है तथा इसके लिए कोई भी मुआवजा पर्याप्त नहीं है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजय शर्मा ने नन्हें खान को सजा सुनाते हुए कहा कि अभियुक्त के अपराध से पीडि़त के मन और आत्मा पर गहरा असर पड़ा है तथा इसके लिए कोई भी सजा या मुआवजा पर्याप्त नहीं है। अदालत ने हालांकि अभियुक्त की उम्र और उसके खराब स्वास्थ्य को देखते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 376 बलात्कार के तहत बतायी गई सजा से कम सजा सुनाई।
अदालत ने कहा कि अभियुक्त की उम्र अभी 65 साल है और उसकी तबीयत भी ठीक नहीं रह रहती। वह किसी धनी पृष्ठभूमि से भी नहीं है। मेरी राय में अभियुक्त की उम्र और स्वास्थ्य, आईपीसी की धारा 376 के प्रावधान में की गयी सजा से कम सजा का पर्याप्त आधार है।
अदालत ने दिल्ली कानूनी सेवा प्राधिकार को पीडि़त को एक लाख रूपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया। अदालत ने दिल्ली निवासी और पीडि़त के मकान मालिक की इस दलील को खारिज कर दिया कि उसकी उम्र के किसी व्यक्ति द्वारा इस प्रकार का अपराध करने की आशंका नहीं है। लेकिन अदालत ने मेडिकल परीक्षण का जिक्र करते हुए दलीलों को खारिज कर दिया।
अभियोजन के अनुसार 29 मार्च 2012 को लड़की अपने घर में सो रही थी, उसी दौरान अभियुक्त ने उसके साथ दुष्कर्म का प्रयास किया। सुनवाई के दौरान आरोपी ने आरोपों से इंकार करते हुए दलील दी कि लड़की की मां ने उसे मामले में फंसाया है क्योंकि वह किराया नहीं देना चाहती थी।