नई दिल्ली। राजधानी की एक निचली अदालत ने आठ वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म मामले में फैसला सुनाते हुए 68 वर्षीय बुर्जर्ग को दस साल की सजा सुनाई है। साथ ही अदालत ने कहा कि बच्चे बेहद महत्वपूर्ण संपत्ति है।
अतिरिक्त सत्र न्यायधीश गौतम मनन ने इस व्यक्ति को बच्चों का संरक्षण अधिनियम पोस्को) के तहत यौन हमला अपराध में जेल की सजा सुनाई। अदालत ने साथ ही कहा कि बच्चों का कल्याण और उनकी भलाई ‘ की अवधारणा किसी भी समाज का आधार है और इसका पूरे समाज के विकास और उसकी सेहत पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
न्यायाधीश ने एक बयान में कहा कि कानूनों,अंतराष्टीय घोषणाओं और न्यायिक आदेशों में बच्चे को बेहद महत्वपूर्ण संपत्ति बताया है। बच्चों के स्वस्थ विकास से ही राष्ट का कल्याण होगा।
अदालत ने इसके साथ ही आठ वर्षीय बच्ची को न्याय मुहैया कराने के लिए एक लाख रुपये का मुआवजा भी दिया है। साथ ही दिल्ली राज्य विधि सेवा प्राधिकरण को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि बच्ची के माता पिता को उसके कल्याण तथा पुनर्वास के लिए यह राशि अवश्य मिले।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 में यह बच्ची देर से घर लौट ती उसकी मॉं ने उसे देर से आने का कारण पूछा तब उसने अपने निजी अंगों में दर्द की शिकायत की और अपनी मां को बताया कि मंदिर में रहने वाले एक आदमी ने मंदिर के भीतर उसके साथ दुष्कर्म किया है। बच्ची ने बताया कि जब उसने रोना शुरू किया तो उस आदमी ने उसे घर वापस भेज दिया।