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68th republic day celebration : in a first, UAE soldiers, NSG commandos march in parade at rajpath delhi
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राजपथ पर परेड : पहली बार शामिल हुआ खाड़ी देश का सैन्य दस्ता

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राजपथ पर परेड : पहली बार शामिल हुआ खाड़ी देश का सैन्य दस्ता
68th republic day celebration : in a first, UAE soldiers, NSG commandos march in parade at rajpath
68th republic day celebration : in a first, UAE soldiers, NSG commandos march in parade at rajpath
68th republic day celebration : in a first, UAE soldiers, NSG commandos march in parade at rajpath

नई दिल्ली।। 68वां गणतंत्र दिवस परेड इस बार कई मायनों में हर बार से अलग रहा। राजपथ पर जहां पहली बार स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस ने उड़ान भरी वहीं ‘धनुष’ तोप को भी परेड में शामिल किया गया।

इससे भी खास बात यह रही कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के सैन्य दस्ते ने भी भारतीय सेना के साथ कदमताल किया। भारत के इतिहास में ये पहला मौका था जब दिल्ली के राजपथ पर भारतीय सेना के साथ अरब खाड़ी देश के सैनिकों ने भी परेड किया।

संयुक्त अरब अमीरात के शहजादे मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए और परेड में यूएई के एक सैन्य दस्ते ने भी हिस्सा लिया। राजपथ पर इस बार स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस आसमान में उड़ता नजर आया।

तेजस ने परेड के फ्लाई पास्ट में हिस्सा लिया। पिछले वर्ष जुलाई में वायुसेना में शामिल हुए लड़ाकू विमान तेजस ने आकाश में विजय का निशान बनाया। वहीं, देसी बोफोर्स ‘धनुष’ तोप ने भी परेड की शान बढ़ाई। देसी बोफोर्स के नाम से मशहूर धनुष तोप का परेड में पहली बार प्रदर्शन किया गया। इसकी मारक क्षमता बोफोर्स से भी ज्यादा है।

इस परेड में एक दर्जन से ज्यादा शस्त्र-अस्त्र स्वदेशी थे, जिसमें रडार से लेकर मिसाइलें और तोप खाने से लेकर रेकी वाहन शामिल हैं। दिलचस्प बात ये रही कि इस बार परेड में नेशनल सिक्युरिटी गार्ड (एनएसजी) भी पहली बार परेड का हिस्सा बना। अब तक गणतंत्र दिवस पर सुरक्षा की जिम्मेदारी एनएसजी जवानों पर रहती थी।

गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले एनएसजी कमांडर आतंकी हमलों का जवाब देते हैं। 68वें गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर रसायनिक हमलों से निपटने के लिए गठित विशेष दल की भी तैनाती की गई थी।

रसायनिक हमलों के खतरे को भांपने के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की एक विशेष टीम राजपथ पर तैनात की गई। केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर (सीबीआरएन) अटैक के खतरे को देखते हुए 90 लोगों की सीबीआरएन यूनिट तैनात की गई थी।

परेड में पहली बार एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (एईडब्ल्यूसी) सिस्टम का प्रदर्शन किया गया। इस सिस्टम के जरिए दुश्मनों की खबर बेहद तेजी से मिल जाती है। ये तकनीक दुनिया के केवल पांच देशों के पास है।