रामनाथी। मैं ईसाई होते हुए भी आपके साथ हूं, क्योंकि मैं हिन्दुस्थानी हूं और मुझे उसका अभिमान है। मैं ईसाई होकर भी हिन्दू राष्ट्र की मांग करने वाले इस अधिवेशन में उपस्थित हुआ क्योंकि हिन्दू राष्ट्र सर्व धर्मों से श्रेष्ठ है, ऐसा मैं मानता हूं।
हिन्दू राष्ट्र के संघर्ष में मैं आपके साथ हूं। मैं संसार को दिखाने के लिए यहां उपस्थित हुआ, क्योंकि मुझे संसार को बताना है कि धर्म के आधार पर भारत विभाजित नहीं है, अपितु संगठित है। भारतियों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि हिन्दू राष्ट्र अभी नहीं, तो आगे कभी नहीं बनेगा।
हिन्दू राष्ट्र यह संकीर्ण कल्पना नहीं है। वह भारत की संस्कृति, मूल्य, श्रद्धा के अंतर्भाव से युक्त उच्च अवधारणा है और वर्तमान काल में संसार के लिए भी हिन्दू राष्ट्र ही आशास्थान है। हिन्दू राष्ट्र के संघर्ष में मैं आपके साथ हूं, ऐसा मत गोवा क्रॉनिकल के संपादक सावियो रॉड्रिग्ज ने व्यक्त किया। वे गोवा के रामनाथ देवस्थान में हो रहे छहें अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन के अंतिम दिन हिन्दू राष्ट्र-स्थापना की दिशा इस सत्र में बोल रहे थे।
संगठन द्वारा किए कार्य का ब्यौरा देते समय राजस्थान के अलवर की हिन्दू शक्ति वाहिनी के राजन गुप्ता ने कहा कि हिन्दुआें को अपने धर्मग्रंथों के संबंध में जानकारी है परंतु अन्य धर्मियों के ग्रंथों के विषय में जानकारी नहीं है। यह जानकारी देकर उन्हें जागृत करने का हमने कार्य किया।
हमारे परिसर में धर्मांधों की ओर से भूमि पर होने वाले आक्रमण रोकने के लिए हिन्दुआें को संगठित कर प्रत्यक्ष कार्य करने हेतु बाध्य किया। हिन्दुआें ने संगठित होकर उन पर होने वाले आघातों के विरुद्ध सफल संघर्ष किया।
जितना पश्चिमी राष्ट्रों को इस्लामिक स्टेट (इसिस) से धोखा है, उतनी ही बडी मात्रा में वह भारत को भी है। इस संकट को शासन गंभीरता से लें। यदि इसिस के विरुद्ध संघर्ष को सफल बनाना है तो सभी को संगठित होकर लडना पडेगा, ऐसा मत मुंबई के हिन्दू हेल्पलाइन के पारस राजपूत ने व्यक्त किया। वे भारत या इस्लामिक स्टेट कि हिन्दू राष्ट्र? इस विषय के चर्चासत्र में बोल रहे थे।
इस अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता और हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस के अध्यक्ष लक्ष्मणपुरी (लखनऊ) के हरि शंकर जैनजी ने भी अपना मनोगत व्यक्त किया। 14 जून से प्रारंभ हुए इस अधिवेशन का 17 जून को बडे उत्साह के साथ समापन हुआ।