अजमेर। मित्तल हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत शर्मा ने कहा कि अंडेदानी की गांठ जरूरी नहीं कि कैंसर हो। माताएं अंडेदानी में गांठ का पता चलने पर शुरुआती अवस्था में फाइन नीडल एस्पाइरेशन साइटोलोजी (एफएनएसी) या बायोप्सी ना कराएं। चिकित्सक से सलाह लें और उचित निदान पाएं।
डाॅ शर्मा ने बताया कि हाल ही में दो अलग-अलग महिलाओं को एक जैसी शिकायत थी, उनके अंडेदानी में गांठ को कैंसर की मानकर आॅपरेशन किया गया एक महिला के अंडेदानी में 7 किलो की बड़ी गांठ थी जिसे झिल्ली (कैप्सूल) सहित ही बाहर निकाला गया।
यह गांठ कैंसर की नहीं थी। जबकि एक अन्य महिला के छोटी गांठ थी इस महिला की गांठ को भी झिल्ली सहित बाहर निकाला गया किन्तु वह बाद में जांच में कैंसर की पाई गई।
डाॅ प्रशांत शर्मा ने बताया कि अंडेदानी की शुरुआती गांठों में एफएनएसी कराए जाने से झिल्ली यानी कैप्सूल के टूटने का खतरा रहता है। कैप्सूल के टूटने पर यदि गांठ कैंसर की ही हुई तो उसके तेजी से फैलने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए इस अवस्था में गांठों को कैंसर की मानते हुए उन्हें झिल्ली सहित ही बाहर निकाला जाता है।
सुनारों का वास डेगाना नागौर निवासी धनश्याम सोनी की पत्नी मैना देवी को हाल में मित्तल हाॅस्पिटल से घर के लिए छुट्टी दे दी गई। मैना देवी का पेट फूल रहा था। मैना देवी को यद्यपि दर्द नहीं होता था किन्तु उन्हें पेशाव की तकलीफ रहने लगी थी।
स्थानीय डाॅक्टर ने सोनोग्राफी कराए जाने की सलाह दी। सोनोग्राफी में उनके पेट में बड़ी गांठ होने का पता चला। गांठ कैंसर की होने की आशंका में मित्तल हाॅस्पिटल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डाॅ प्रशांत शर्मा को दिखाया गया। जिन्होंने आॅपरेशन कर महिला के पेट से सात किलो की गांठ निकाली। अब मैना देवी पूरी तरह स्वस्थ है।
इसी तरह सथानागली बिजयनगर निवासी हस्तीमल की पत्नी प्रेमलता के पेट से कैंसर की गांठ निकाल कर उन्हें स्वास्थ्य लाभ पहुंचाया गया।