जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में 75 दिन चलने वाला बस्तर का प्रसिद्ध दशहरा रविवार को मोंगरी मछली व बकरे की बलि के साथ शुरू हुआ। बलि दंतेश्वरी मंदिर के सामने दी गई। इस पर्व की शुरुआत प्रतिवर्ष हरियाली अमावस्या के दिन पाटजात्रा पूजा विधान के साथ की जाती है।
बताया गया कि इसमें 11 मोगरी मछली एवं एक बकरे की बलि दी गई। इसके साथ ही दशहरा में चलने वाले रथ का निर्माण शुरू किया गया। साथ ही पूजा के दौरान अंडा, फल, फूल के साथ ही मिठाई आदि भी टूर्लू खोटला में चढ़ाया गया।
बस्तर का अनूठा दशहरा: यहां रावण नहीं मारा जाता
दुनिया का सबसे लम्बी अवधि तक चलने वाला पर्व बस्तर दशहरा मेला
रथ नहीं खींचने पर आदिवासी समाज लगाता है जुर्माना
600 साल के इतिहास में पहली बार जेसीबी मशीन से खींचा दशहरा रथ
4 सितंबर को डेरा गड़ाई की रस्म, 20 सितंबर को काछनगादी, 21 सितंबर को कलश स्थापना, 22 से 27 सितंबर तक प्रतिदिन नवरात्रि पूजा, 28 सितंबर को निशा जात्रा, 29 सितंबर को कुंवारी पूजा, जोगी उठाई के साथ ही मावली परघाव, 30 सितंबर को भीतर रैनी पूजा विधान के साथ ही रथ परिक्रमा, एक अक्टूबर को बाहर रैनी पूजा, रथ जात्रा पूजा, 2 अक्टूबर को काछन जात्रा पूजा के साथ ही मुरिया दरबार, 3 अक्टूबर को कुटुम्ब जात्रा व 7 अक्टूबर को मां दंतेश्वरी मां की डोली को विदाई देने के साथ ही दशहरा पर्व का समापन किया जाएगा।
पूजा के दौरान बस्तर दशहरा समिति के नायब तहसीलदार मलय विश्वास, आरआर अर्जन श्रीवास्तव, भाजपा नेता नरसिंह राव, दिप्ती पांडे, सहित संभाग के सभी मांझी, चालकी, मेम्बर, मेम्बरिन, सदस्यए टेम्पल कमेटी, नाईक, पाईक एवं दशहरा समिति के सदस्य सभी मंदिरों के पुजारी तथा श्रद्धालु उपस्थित रहे।