जयपुर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि साहित्यिक आयोजन की सफलता से प्रेरित होकर सरकार कुछ अन्य फेस्टिवल शुरू करने पर भी विचार कर रही है जिसमें मुख्य रूप से संगीत की विभिन्न विधाओं को मंच देने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के महोत्सव का आयोजन प्रमुख है।
उन्होंने कहा कि भरतपुर, करौली और धौलपुर के म्यूजियम एवं ऎतिहासिक महलों के रखरखाव पर ध्यान दिया जा रहा है ताकि पर्यटक वहां तक पहुंचे। मुख्यमंत्री ने साहित्य फेस्टिवल में हिस्सा लेने आए लेखकों एवं अन्य देशी विदेशी मेहमानों से अनुरोध किया कि वे राजस्थान का भ्रमण कर यहां की ऎतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव करें।
उन्होंने कहा कि जवाहर कला केन्द्र का नवीनीकरण करवाकर यहां अगले साल तक आधुनिक कला दीर्घा, सेन्टर फॉर कन्टेपरेरी आट्र्स शुरू कर दी जाएगी। मुख्यमंत्री बुधवार को डिग्गी पैलेस में जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल का दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन करने के बाद संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि नौ साल के कम समय में ही इस साहित्यिक उत्सव ने जो ख्याति अर्जित की है वह काबिले तारीफ है।
गीत-कविताओं में दार्शनिकता जरूरी प्रसून जोशी
फिल्म गीतकार प्रसून जोशी ने कहा है कि गीत एवं कविताओं में दार्शनिकता होनी चाहिए। साहित्य उत्सव में बुधवार को तारे जमीं पर आयोजित कार्यक्रम में जोशी ने कहा कि गीतों एवं कविताओं में दार्शनिकता होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि फिल्मी गीतों पर लोकगीतों का काफी प्रभाव रहता है। मैंनेे भी कई लोकगीतों का सहारा लिया है। ससुराल गेंदा फूल..भी इनमें एक है। जोशी ने कहा कि लोक गीतों में मार्मिकता के साथ जीवन के कई अर्थ छिपे रहते हैं। गायिकाएं अपनी पीड़ा को कई बार गीतों में व्यक्त करती है। ये गीत मनोरंजन के साथ अर्थपूर्ण भी बन जाते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि फिल्मी गीतों में कई बार ऎसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया जाता है जिनका कोई अर्थ ही नहीं रहता। एक बार ए रहमान धुन बजा रहे थे तब मेरी जुबां पर मस्सकली..मस्सकली…मटकली शब्द आ गए और अच्छे लगे।
वास्तव में इन शब्दों का कोई अर्थ नहीं था। मैंने फिल्म में एक कबूतर को मस्सकली नाम देकर गाने के भावार्थ से जोड़ा। जोशी ने कहा कि गीतों में भाव महत्वपूर्ण है तथा भावों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। चाहे भाषा का कुछ बिगाड़ हो जाए।
अश्लील गीतों का विरोध होना चाहिए
जावेद प्रसिद्ध फिल्म गीताकार जावेद अख्तर का मानना है कि फूहड एवं अश्लील गीतों का विरोध करने से ही अच्छे गीतों का चलन होगा। यहां साहित्य उत्सव में आए जावेद से फि ल्मी गीतों में बढ़ती अश्लीलता एवं फूहडपन पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि समाज जो गीत स्वीकार करता है, गीतकार वही गीत लिखता है। उन्होंने कहा कि अश्लील गीतों का विरोध होना चाहिए। अपनी किताब के विमोचन अवसर पर उन्होंने कहा कि दिल जो चाहता है कवि वहीं लिखता है। उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी मान कर लिखना मेरे लिए लिखना आसान नहीं क्योंकि मुझे यह उबाऊ लगता है। उन्होंने कहा कि मैं इसलिए लिखता हूं क्योंकि लिखना मेरा विशेषाधिकार है। मैंने धर्म के खिलाफ भी लिखा है। जावेद ने कहा कि अपने बारे में सोचना पागलपन है। यह काम दूसरों को देना चाहिए।
लिम्का बुक के साहित्यिक विशेषांक का विमोचन
प्रसिद्ध नाट्यकर्मी एवं पद्म भूषण गिरीश कर्नाड ने कहा कि आधुनिक तकनीकी साधनों से किताबों को खतरा नहीं है बल्कि उनसे है जो किताबों को नष्ट करना चाहते है। लिम्का बुक ऑफ रिकॉडर्स के साहित्यिक विशेषांक के विमोचन अवसर पर कर्नाड ने कहा कि बच्चे आज लेपटॉप को ज्यादा पसंद कर रहे हैं तथा किताबें उनके लिए बाद का विषय है। अपने समय को याद करते हुए उन्होंने कहा कि मैं 77 साल पहले पैदा हुआ तब दूसरा विश्व युद्ध छिड़ा हुआ था तथा मेरे गांव में बिजली भी नहीं थी। पढ़ने के साधन भी बहुत कम थे। आज समय बदल गया है तथा आधुनिक तकनीक ने कई अवसर पैदा किए हैं।