‘ देवों में दैव महादेव’ आज हम आप को बताने जा रहे हैं हमारे हिंदू धर्म में पूजा के दौरान मंत्रों के उच्चारण का विशेष महत्व होता है ओर सभी मंत्रो का उच्चारण देवी-देवताओं के अनुसार ही किया जाता है जिनके लाभ भी अलग अलग होते हैं।
मंदिर हो या घर दोनों ही जगहों पर आरती के बाद शिव मंत्र ‘कर्पूरगौरं’ का जाप किया जाता है जिसे आपने अक्सर सुना होगा। इस मंत्र का जाप आरती के बाद ही करना क्यों जरूरी माना जाता है चलिए हम बताते है।
भगवान् शिव का पूरा मंत्र :- कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
अर्थ: जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करने वाले हैं, वे भगवान शिव, माता भवानी सहित हमेशा मेरे ह्रदय में निवास करें और उन्हें मेरा नमन है।
क्यों है इस मंत्र का इतना महत्व…
किसी भी पूजा को शुरू करने से पहले जैसे भगवान गणेश की स्तुति की जाती है। उसी प्रकार देवी-देवता की आरती के बाद इस मंत्र का जाप करने का अपना ही एक महत्व है। ऐसी मान्यता है की इस मंत्र का उच्चारण भगवान विष्णु द्वारा की गई थी जब भगवान शिव-पार्वती जी का विवाह हो रहा था।
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