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नारदा कांड : कोलकाता हाईकोट ने जांच सीबीआई को सौंपी - Sabguru News
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नारदा कांड : कोलकाता हाईकोट ने जांच सीबीआई को सौंपी

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नारदा कांड : कोलकाता हाईकोट ने जांच सीबीआई को सौंपी
calcutta High Court hands over Narada sting probe to CBI
calcutta High Court hands over Narada sting probe to CBI
calcutta High Court hands over Narada sting probe to CBI

कोलकाता। हाईकोर्ट ने कोलकाता पुलिस द्वारा की जा रही नारदा कांड की जांच पर सवाल उठाते हुए इसकी जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी है।

हाईकोर्ट के प्रधान न्यायाधीश निशिथा म्हात्रे औ़र न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती की डिविजन बेंच ने शुक्रवार को नारदा मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। खंडपीठ ने सीबीआई को 72 घंटे के भीतर एफआईआर के निर्देश दिए हैं। साथ ही आइपीएस अधिकारी मिर्जा को निलंबित करने का भी कोर्ट ने निर्देश दिया है।

प्रधान न्यायाधीश की डिविजन बेंच ने क्या कहा :

1. नारदा कांड का वीडियो विकृत नहीं है।
2. सीबीआई को 72 घंटे के भीतर एफआईआर करने का निर्देश।
3. 72 घंटे के भीतर प्राथमिक जांच शुरू करने के आदेश।
4. अगर राज्य की पुलिस मामले की जांच करती है तो निष्पक्षता नहीं रहेगी।
5. जनप्रतिनिधियों को रिश्वत लेते देखा गया है जिसने जनता की आस्था को झकझोर कर रख दिया है।
6. पुलिस अधिकारी एसएमएच मिर्जा को निलंबित करने के के साथ-साथ उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश।
7. 24 घंटे के अंदर फुटेज की डिवाइस सीबीआई को अपने हाथों में लेनी होगी।
8. पुलिस राज्य सरकार की कठपुतली हो गई है।

क्या है मामला

पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव के पहले नारदा का वीडियो प्रकाश में आया था। इस वीडियो में तृणमूल के 12 शीर्ष नेता, मंत्री, विधायक और सांसद को रिश्वत लेते देखा गया था। इनमें मुकुल राय, सुब्रत मुखर्जी, फिरहाद हकीम, शोभन चटर्जी, सुल्तान अहमद, प्रसून बनर्जी, काकली घोष दस्तिदार, मदन मित्र, शुभेन्दु अधिकारी, अपरूपा पोद्दार, शंकुदेव पंडा और आईपीएस अधिकारी एच मिर्जा शामिल थे।

पिछले वर्ष 15 मार्च को नारदा कांड की सीबीआई जांच की एक अलग जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी और 18 मार्च, 2016 को मामले सुनवाई शुरू हुई। यह सुनवाई एक वर्ष तक यानी 20 जनवरी, 2017 तक चली। मामले की काफी लंबी चली सुनवाई को तीन प्रधान न्यायाधीशों की बेंच में रखा गया था। अंत में काफी प्रतीक्षा के बाद शुक्रवार को मामले में हाईकोर्ट ने अपनी राय दे दी।

आरोपियों के वकीलों का कहना था कि यह वीडियो फुटेज नकली हैं। नारदा के सीइओ मैथ्यू सैैमुअल ने तृणमूल को बदनाम करने के इरादे से यह कार्य किया है।

अदालत के प्रधान न्यायाधीश की डिविजन बेंच ने मैथ्यू सैमुअल के पास से एकत्रित लैपटॉप, आईफोन और पेन ड्राइव को परीक्षण के लिए चंडीगढ फॉरेंसिक लैब में भेजा था और उसकी रिपोर्ट में हाईकोर्ट को पता चला कि 73 वीडियो फुटेजों में से 48 फुटेज असली हैं।

20 जनवरी को सीबीआई के वकील असरफ अली ने अदालत को यह बताया था कि अगर मामले की जांच का जिम्मा हमें सौंपा जाता है तो हम इसके लिए प्रस्तुत हैं।