सबगुरु न्यूज- लखनउ। आज से ठीक दस साल और दस दिन पहले उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के सांसद के रूप में रो पडे थे। उनके भावुकता की स्थिति यह थी कि दूसरे सांसदों ने उनके आंसू पोछे। जिस राज्य के तत्कालीन सरकार के दबाव में की जा रही प्रशासनिक और पुलिस प्रताडना के कारण वह रोए थे, उस आंसू के ठीक दस साल दो दिन बाद यही भावुक योगी अब उस प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं।
संसद के बजट सत्र के दौरान 12 मार्च, 2007 को योगी आदित्यनाथ लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी की मौजूदगी में फफक कर रो दिए। बोलने से पहले ही उनकी आंखों से अश्रुधारा बह चली। उनके साथी सांसदों ने उनकी आंखों के आंसू पोंछे। इसके बाद रुंधे गले से उन्होंने कहा कि अध्यक्ष जी मैं तीसरी बार गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा सदस्य बना हूं।
पहली बार वह 25 हजार मतों से, दूसरी बार 50 हजार से और तीसरी बार 1.50 लाख मतों से जीत कर आए हैं। लेकिन, अध्यक्ष जी प्रदेश सरकार द्वारा मुझे राजनीतिक पूर्वाग्रह का शिकार बनाया जा रहा है। मैं सिर्फ यह पूछना चाहता हूं कि मै इस सदन का सदस्य हूं या नहीं हूं और क्या यह सदन में संरक्षण दे पाएगा या नहीं दे पाएगा।
इस पर अध्यक्ष ने कहा कि वह सदन के सम्मानीय सदन हैं। योगी ने आंखों से बहती अश्रुधारा के बीच कहा कि यदि यह सदन में सुरक्षा नहीं दे सकता है तो मैं आज ही इस सदन को छोडकर वापस जाना चाहता हूं। मेरे लिए कोई महत्व नहीं रखता है।
रुंधे हुए गले से योगी ने तत्कालीन अध्यक्ष चटर्जी के माध्यम से सदन से कहा कि महोदय मैने सन्यास लिया है अपने समाज के लिए। मैने अपने परिवार को छोडा है। मैने अपने मां-बाप को छोडा है। लेकिन अब मुझे अपराधी बनाया जा रहा है। केवल राजनीतिक पूर्वाग्रह के कारण।
उन्होंने कहा कि यह केवल इसलिए किया जा रहा है कि उन्होंने वहां पर भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए। क्योंकि मैने भारत-नेपाल सीमा के उपर आईएसआई और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाई और सदन में बराबर उनके खिलाफ सदन का ध्यानाकर्षित करता रहा। योगी ने रोते हुए कहा कि वह वहां पर भुखमरी से हो रही मौतों के खिलाफ प्रशासनिक भ्रष्टाचार को उठाता रहा।
इसलिए मेरे खिलाफ महोदय सारे के सारे मामले बनाए गए हैं और बनाए जा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ के 12 मार्च 2007 को प्रश्नकाल के बाद के अपने वक्तव्य में इस तरह भावुक होने से पूरा सदन ही सकते में आ गया था। इसके बाद यूपीए के मंत्रियों के साथ भाजपा के वरिष्ठ मंत्री तक उनके पास पहुंचे और उन्हें ढाढस बंधाया।
दरअसल, योगी इस दौरान गोरखपुर में 2005 में हुए दंगों के बाद उनकी गिरफ्तारी तथा उनके खिलाफ तत्कालीन मुलायमसिंह सरकार के द्वारा बनाए गए आपराधिक मामलों और उन मामलों के माध्यम से उन्हें निरंतर प्रताडित किए जाने से व्यथित थे। इस समय 20 सीटें होने के कारण समाजवादी पार्टी और मुलायमसिंह केन्द्र की तत्कालीन यूपीए सरकार में भी महत्वपूर्ण दखल हुआ करता था।