नई दिल्ली। दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सोमवार को भारत के 66वें गणतंत्र दिवस समारोह में भारत की सैनिक, वैज्ञानिक और औद्योगिक क्षमता तथा सांस्कृतिक विविधता की झलक के साथ भारतीय जनता की गणतांत्रिक मूल्यों के प्रति आस्था की ताकत को भी देखा जो बारिश और कड़ाके की ठंड की परवाह किए बिना बड़ी संख्या में राजपथ पर उमड़ी।
राजधानी दिल्ली और देश के दूसरे हिस्सों से आए लोग सुबह से ही कतारबद्ध हो गए थे और परेड शुरू होने के बाद भी उनके आने का सिलसिला जारी रहा। लोगों को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा और कई बार सुरक्षा घेरा भी टूटा लेकिन लोगों ने इसकी परवाह नहीं की। कई पुलिसकर्मी तो यह कहते सुने गए कि गणतंत्र दिवस पर उन्होंने कभी ऎसी भीड नहीं देखी।
खराब सुरक्षा व्यवस्था
गणतंत्र दिवस पर सुरक्षा को लेकर कई दावे किए गए थे लेकिन ये सारे दावे भारी भीड़ के सामने हवा हो गए। राजधानी और देश के कोने-कोने से पहुंचे लोगों को खराब सुरक्षा व्यवस्था से दोचार होना पड़ा। कई बार उनसे कहा गया कि हाउसफुल हो गया है और वे वापस चले जाएं। इससे भीड़ बेकाबू हो गई और उसने सुरक्षा तोड़कर अंदर घुस गई। इस अफरातफरी में सबसे ज्यादा बच्चों और बुजुर्गो को परेशानी हुई।
बारिश भी नहीं डगमगा पाई हौसला
परेड शुरू होने से पहले और परेड शुरू होने के बाद कई बार हल्की बारिश हुई लेकिन यह गणतंत्र का जश्न मना रहे लोगों का हौसला नहीं डगमगा पाई। रातभर हुई बारिश के कारण सीटें गीली हो गई थीं। लोगों ने शुरू में तो इन सीटों पर बैठने से परहेज किया लेकिन जैसे-जैसे भीड़ बढ़ती गई लोग सीटों को साफकर उनपर बैठ गए। परेड के बीच में अचानक बारिश तेज हो गई लेकिन लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई। कई लोग अपने साथ पालीथिन लेकर आए थे जिन्हें उन्होंने बारिश होने पर सिर पर लगा लिया था।
फ्लाईपास्ट को लेकर अंतिम समय तक असमंजस
खराब मौसम और तेज वर्षा के कारण परेड के मुख्य आकर्षण फ्लाईपास्ट को लेकर आखिरी समय तक असमंजस बना रहा। मीडियाकर्मी जहां अधिकारियों से फ्लाईपास्ट को लेकर स्थिति पूछते रहे तो दर्शकों की नजरें भी आसमान पर टिकी थी। परेड में बीच में बीच में बारिश तेज भी होती रही जिससे विमानों के करतब देखना लगभग नामुमकिन लग रहा था लेकिन तय समय और तय कार्यक्रम से जाबांज पायलटों ने विमान भी उड़ाये और भारतीय वायु सेना की अथाह ताकत का अहसास भी कराया।
बच्चों को भाई कर्नाटक की झांकी
छोटे बच्चों को सबसे अधिक जो चीज भाती है वह खिलौने होते हैं और सलामी मंच की ओर सबसे पहले कर्नाटक की झांकी जब पहुंची तो बच्चों के चेहरे खिल गए। राज्य का चन्नपटना क्षेत्र पारंपरिक शिल्प कला से निर्मित खिलौने और रंग बिरंगी गुडियों की कला के लिए मशहूर है और इस झांकी को भी खिलौनों से सजाया गया था।
दिल्ली मोदी मय हो गया राजपथ
यंू तो गणतंत्र दिवस के समारोह में प्रधानमंत्री की कोई भूमिका नहीं होती है लेकिन कालें बंद गला सूट पहने और लाल हरे नारंगी रंग की बांधनी में फब रहे मोदी जनता की नजरों में आकर्षण का केन्द्र बन गए। सड़क के दोनों ओर जनता ने मोदी मोदी के नारे लगाए और मोदी ने भी पलट कर हाथ लहरा कर उनका अभिभावन किया तो जनता ने तालियों और सीटियों की आवाज से उसका जवाब दिया। लोग मोदी को देखने के लिए सीटों पर खडे हो गए। जनता में जितना उत्साह ओबामा को लेकर था, उससे कहीं अधिक उत्साह मोदी को लेकर देखा गया।
जब ओबामा ने हाथों में थामा छाता
अमरीकी राष्ट्रपति जब अपनी कार में राजपथ पहुंचे तो उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने उनकी अगवानी की और उन्हें मंच तक ले गए। राष्ट्रपति मुखर्जी के आगमन में कुछ देर थी। दोनो नेता मंच पर खडे बातें करने लगे। मिशेल ओबामा उपराष्ट्रपति की पत्नी से बातचीत में मशगूल थीं। तभी बारिश तेज हो गई। इस पर राष्ट्रपति के स्टाफ के एक अधिकारी ने उनके सिर पर छाता तान लिया। कुछ क्षणों तक ओबामा को इस बात का अहसास नहीं हुआ लेकिन थोड़ी देर बाद ओबामा के हाथों में छाता था और वे अपने कं धे पर मजे से छाता लगाए उपराष्ट्रपति से बातचीत कर रहे थे। बाद में मुखर्जी के पहुंचने पर मोदी भी मंच पर आए और उन्होंने राष्ट्रपति स्टाफ को छाता लेने को कहा।