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kusum tail ke labh | दिल के लिए फायदेमंद है कुसुम का तेल
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दिल के लिए फायदेमंद है कुसुम का तेल

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दिल के लिए फायदेमंद है कुसुम का तेल
Kusum oil is a type of oil extracted from the seed of the Kusum tree

Kusum oil is a type of oil extracted from the seed of the Kusum tree

रायपुर। मनुष्य के दिल के लिए कुसुम (बर्रे) तेल फायदेमंद होता है। कुसुम फूल की पंखुड़ियों से हर्बल चाय बनती है, जो घुटनों के दर्द के लिए लाभकारी होती है।

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छत्तीसगढ़ में रबी मौसम में औषधियुक्त कुसुम की खेती होती है। पिछले 17 साल में कुसुम की खेती का रकबा दोगुना हो गया है। वर्ष 2000-01 में लगभग दो हजार 400 हेक्टेयर में कुसुम की खेती की गई थी।

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चालू रबी मौसम में अभी तक पांच हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में कुसुम की बोनी हो चुकी है। प्रदेश के दुर्ग, बेमेतरा, राजनांदगांव, कबीरधाम आदि जिले के किसान कुसुम की खेती करते हैं। वर्तमान में पीबीएनएस-12, नारी-57 तथा नारी-06 किस्मों की खेती राज्य में हो रही है।

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अखिल भारतीय समन्वित कुसुम अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कृषि वैज्ञानिक किसानों के व्यापक हित में कुसुम की नई किस्में विकसित करने निरंतर प्रयासरत हैं।

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विश्वविद्यालय के आनुवांशिकी एवं पादक प्रजनन विभाग के कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने कुसुम की दो नई किस्में विकसित करने में सफलता पायी है। डॉ. श्रीवास्तव अभी अखिल भारतीय समन्वित कुसुम अनुसंधान परियोजना में कार्य कर रहे हैं।

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कुसुम की दो नई किस्में एक सौ दिनों में पकने वाली है। इसमें एक कांटे वाली और दूसरी बिना कांटे वाली है। विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने आज यहां बताया कि वर्तमान में कुसुम की जो किस्में किसान बो रहे हैं। वह 145 से 150 दिनों में पककर तैयार होती है।

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कुसुम की बोआई के लिए अक्टूबर माह का मध्य समय उपयुक्त होता है। छत्तीसगढ़ की परिस्थितियों में धान फसल कटने के बाद रबी फसलों की बोआई सामान्यतः देरी से शुरू होती है। रबी मौसम में कुसुम की बोआई दिसम्बर के प्रथम सप्ताह तक की जाती है।

कुसुम की नई किस्मों की बोआई देरी से होने पर भी किसानों के लिए फायदेमंद है। दोनों नई किस्में कम अवधि की अधिक उपज देने वाली है। नई किस्मों में से एक को आरएसएस 2011-1-1 (कांटे वाली) तथा दूसरी को आरएसएस 2011-1-2 (बिना कांटे वाली) नाम दिया गया है।

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आरएसएस 2011-1-1 किस्म को छिड़का पद्धति से बोनी करने के लिए उपयुक्त मानी जा रही है। इनकी कतार बोनी भी की जा सकती है। कुसुम की प्रचलित किस्मों की बोआई देरी से होने से उत्पादन प्रभावित होता है। इनकी तुलना में कुसुम की यह किस्म छत्तीसगढ़ के लिए उपयुक्त बतायी जा रही है।

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किसान धान की कटाई के बाद एक जुताई करके नई किस्मों की छिड़का पद्धति से बोआई कर सकते हैं। एक एकड़ रकबे में मात्र चार किलोग्राम बीज पर्याप्त होगा। इस किस्म के बीज में 26 प्रतिशत तेल होता है।

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कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि दूसरी किस्म आरएसएस 2011-1-2 किस्म सफेद फूलों और अधिक शाखाओं वाली है। इसके बीजों में तेल की मात्रा 33 प्रतिशत होती है।

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