नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवाकर से जुड़े चारों विधेयकों के पारित होने पर प्रधानमंत्री ने देशवासियों को बधाई देते हुए इसे नए भारत की शुरुआत कहा है।
लोकसभा ने बुधवार को केंद्रीय सामान और सेवा कर विधेयक (सीजीएसटी), एकीकृत माल और सेवा कर विधेयक(आईजीएसटी), संघ क्षेत्र के सामान और सेवा कर विधेयक (एसजीएसटी), 2017, और माल और सेवा कर (राज्यों के लिए मुआवजा) विधेयक पारित कर दिए।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि जीएसटी बिल पास होने पर सभी देशवासियों को बधाई। नया साल, नया कानून, नया भारत!
जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों को लोकसभा की मंजूरी
संसद के निम्न सदन, लोकसभा ने बुधवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े चार विधेयकों को मंजूरी दे दी है। सुबह से देर शाम तक सदन में चली बहस के बाद इन चारों विधेयक, केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (सी-जीएसटी बिल), एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (आई-जीएसटी बिल), संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी-जीएसटी बिल) और माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी गई। अब राज्यों को राज्य जीएसटी विधेयक-2017 (स्टेट जीएसटी बिल) पास करना होगा।
बुधवार को लोकसभा में जीएसटी से जुड़े चार विधेयक केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किए गए। जिस पर सरकार और विपक्ष की ओर से सांसदों ने अपने-अपने पक्ष रखे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में केंद्र सरकार पहले ही कर-प्रणाली में एकरुपता लाने के अपने संकल्प को दोहरा चुकी थी।
जिसके चलते अलग-अलग अप्रत्यक्ष कर, सरचार्ज, स्थानीय टैक्स की जगह जीएसटी को लागू करने को लेकर सरकार की कोशिशें जारी रहीं। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली पहले ही लोकसभा में बता चुके हैं कि केंद्र सरकार की कोशिश 1 जुलाई, 2017 से जीएसटी को लागू करने की है।
जीएसटी बिल के दौरान संसद में क्या बोले जेटली
संसद के निम्न सदन, लोकसभा में बुधवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को लेकर हुई चर्चा के दौरान केंद्रीय वित्तमंत्री से एक बार फिर विस्तार से सदन को जीएसटी से जुड़ी सारी जानकारियां दी। लोकसभा में अपने वक्तव्य के दौरान अरुण जेटली ने कहा कि उनकी सरकार ने इसके जरिए राज्यों को अप्रत्यक्ष कर निर्धारण में साथ लिया है।
जीएसटी को लेकर केंद्र सरकार की कोई दादागिरी नहीं है, क्योंकि जीएसटी को लेकर सारी बातें जीएसटी काउंसिल तय करती है। जीएसटी काउंसिल में देश के 29 राज्य और 2 केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली और पुड्डीचेरी है, जहां राज्यों के समान विधानसभा मौजूद है। जीएसटी काउंसिल में 29 राज्य, दो केंद्रशासित प्रदेश और केंद्र के वित्तमंत्री सदस्य होते हैं।
इस तरह जीएसटी काउंसिल 32 सदस्यीय होती है। जीएसटी के सारे देश में प्रचालन के लिए इस पूरी कार्यप्रणाली को पांच विधेयकों की मदद से सामने लाया गया। जिसमें केंद्रीय जीएसटी विधेयक के द्वारा केंद्र को लेकर प्रावधान हैं, वहीं राज्य जीएसटी बिल में राज्यों को लेकर। इसी तरह एक विधेयक केंद्रशासित प्रदेशों के लिए है, तो एक राज्यों या राज्य-केंद्रशासित प्रदेश के बीच व्यापार को लेकर है।
पांचवां बिल राज्यों को होने वाले संभावित राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए है। केंद्रीय वित्तमंत्री ने बताया कि जीएसटी के लिए पहली बार देश में एक नई संघीय संस्था जीएसटी काउंसिल के रुप में सामने लाई गई, जिसमें केंद्र और राज्यों की संप्रभुता को मिलाया गया। इस नए प्रयोग से पहली बार राज्य भी अप्रत्यक्ष कर- प्रणाली को लेकर अपनी बात कह सकेंगे।
जीएसटी के टैक्स स्लैब के बारे में बताते हुए जेटली ने कहा कि इसमें टैक्स की अधिकतम् सीमा 28 फीसदी रखी है। जीएसटी में टैक्स के कई स्तर होंगे। कौन-सी वस्तु किस जीएसटी स्तर पर होगी, इसका निर्धारण उस उत्पाद पर वर्तमान में लग रहे सभी टैक्स के निर्धारण से होगा। यदि किसी उत्पाद पर 28 फीसदी से ज्यादा टैक्स लगता है, तो उस बढ़े हुए कर की राशि राज्यों को अगले पांच साल तक दिए जाने वाले मुआवजे पर खर्च की जाएगी।