धर्मशाला। कहते हैं ना प्रेम परवान चढे तो क्या आम आदमी संन्यासी का मन भी डिग जाता है। कुछ ऐसा ही वाकया 30 मार्च को सामने आया और दुनियाभर में सुर्खियां बन गया।
यह कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है। जब 33 वर्षीय तिब्बती लामा थाये दोरजे एक आधिकारिक घोषणा में कहा कि उन्होंने नई दिल्ली में एक निजी समारोह में 25 मार्च को अपने बचपन की मित्र रिनचेन यांगजोम से विवाह कर लिया है।
बताया गया कि उन्होंने अपनी बचपन की दोस्त से शादी करने के लिए भिक्षु का पद त्याग दिया और संन्यास छोड़कर गृहस्थ जीवन शुरू कर दिया।
थाये दोरजे ने एक निजी समारोह में 36 वर्षीय रिंचेन यैंगजोम से शादी की है। भूटान में जन्मीं रिंचेन की शिक्षा-दीक्षा भारत और यूरोप में हुई। बृहस्पतिवार को दोरजे के कार्यालय की ओर से जारी बयान में इसकी जानकारी दी गई।
जब थाये दोरजे 18 महीने के थे, तब से लोगों ने उनको करमापा लामा कहना शुरू कर दिया था। उनका यह पुनर्जन्म बताया जा रहा है। तिब्बती बौद्ध धर्म में दलाई लामा के बाद करमापा लामा दूसरा सर्वोच्च पद माना जाता है।
हालांकि कुछ बौद्ध अनुयायी थाये दोरजे के प्रतिद्वंदी उर्गयेन त्रिनली को करमापा लामा मानते हैं। त्रिनली को तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का भी समर्थन हासिल है। इस उपाधि को लेकर अदालत में मुकदमेबाजी तक हो चुकी है।
मालूम हो कि करमापा लामा पद को लेकर छिड़े विवाद के चलते बौद्ध धर्म के अनुयायी दो धड़ों में बंटे हुए हैं, लेकिन बृहस्पतिवार को जब थाये दोरजे की शादी की खबर सामने आई तो सभी हैरान रह गए।
थाये ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि शादी करने से न सिर्फ मुझ पर, बल्कि मेरे अनुयायियों पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इससे हम सभी को लाभ होगा।
करमापा लामा की जिम्मेदारी का करते रहेंगे निर्वहन
थाये दोरजे ने कहा कि वह शादी के बाद भी करमापा लामा की जिम्मेदारी का निर्वहन करते रहेंगे। वह दुनिया भर में अपने अनुयायिकों को प्रवचन देते रहेंगे और उनका मार्गदर्शन करते रहेंगे। तिब्बत में जन्मे थाये दोरजे के पिता भी लामा थे। उनकी मां तिब्बत के कुलीन परिवार से आती थीं।