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वहीदा रहमान : एक नजर ने चमकाई किस्मत - Sabguru News
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वहीदा रहमान : एक नजर ने चमकाई किस्मत

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वहीदा रहमान : एक नजर ने चमकाई किस्मत
wishing waheeda rehman a happy birthday
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नई दिल्ली। “गाइड”, “सी.आई.डी.” व “चौदहवीं” का चांद जैसी लोकप्रिय फिल्मों से स्वयं को हिंदी सिनेजगत में स्थापित करने वाली अदाकारा वहीदा रहमान के करियर की सबसे सफल फिल्म “खामोशी” (1970) थी।

इसमें उनके साथ बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना थे। एक समारोह में उस जमाने के मशहूर अभिनेता-फिल्मकार गुरूदत्त की नजर वहीदा पर पड़ी, इसके बाद उनके दिन फिर गए।

वहीदा का जन्म तीन फरवरी, 1938 को तमिलनाडु के चेंगलपट्टू में एक तमिल-उर्दू भाषी परिवार में हुआ। उनके पिता जिलाधिकारी थे, जिसके चलते उनकी तैनाती देश के कई हिस्सों में हुई। 1948 में पिता के आकस्मिक निधन की वजह से वहीदा पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। वर्ष 1955 में उनकी मां भी चल बसी।

पिता के निधन के एक साल बाद भरतनाटयम में दक्षता प्राप्त वहीदा तेलुगू फिल्म “रोजुलू मराई” में मुख्य नायिका की भूमिका में नजर आई। यह फिल्म सफल रही थी और इसकी सफलता के जश्न के लिए रखी गई एक पार्टी में बॉलीवुड के नामचीन अभिनेता-फिल्मकार गुरूदत्त की नजर वहीदा पर पड़ी। गुरूदत्त ने तत्काल उन्हें “सीआईडी” फिल्म का प्रस्ताव दे दिया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

गुरूदत्त ने ही वहीदा को अपनी फिल्म “सी.आई.डी.” में मुख्य भूमिका दी। इसके अलावा भी वहीदा ने उनकी पांच लोकप्रिय फिल्मों-“प्यासा”, “12 ओÞक्लॉक”, “कागज के फूल”, “साहिब बीवी और गुलाम” व “चौदहवीं का चांद” में अभिनय किया।

हिंदी सिनेजगत में आगे चलकर वहीदा व सदाबहार अभिनेता देवानंद की जोड़ी बहुत लोकप्रिय हुई। उन्होंने साथ में पांच ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं। इनमें “सी.आई.डी.”, “सोलहवा साल”, “काला बाजार”, “बात एक रात की” व “गाइड” शामिल हैं। “गाइड” के लिए वह वर्ष 1965 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित की गई। 1968 में “नील कमल” फिल्म के लिए उन्होंने दोबारा यह पुरस्कार जीता। उनके करियर की सबसे सफल फिल्म “खामोशी” (1970) है, जिसमें उनके साथ बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना थे।

शादी के बाद सीमित कर ली दुनिया

1974 में वहीदा ने अभिनेता कंवलजीत से शादी की। कंवलजीत “शगुन” (1964) फिल्म में उनके नायक थे। यह फिल्म असफल रही। बाद में वे दोनों बेंगलुरू जाकर बस गए। शादी के बाद वहीदा फिल्मों से कट गई। 1976 से 1994 में उन्होंने सहायक भूमिकाएं कीं व बतौर सहायक अभिनेत्री 24 फिल्मों में अभिनय किया। पति के निधन (2000)के बाद उन्होंने एक बार फिर फिल्मों का रूख किया और नौ फिल्मों में काम किया। इनमें से अधिकांश फिल्मों में वह बुजुर्ग महिला की भूमिका में दिखीं।

निजी जिंदगी से संबंधित सवाल नापसंद

समय-समय पर दिवंगत अभिनेता-फिल्म निर्देशक गुरू दत्त के साथ अपना नाम जुड़ने से वहीदा आहत होती हैं। उन दोनों के रिश्तों को लेकर शुरूआत से ही तमाम अटकलें लगती आई हैं। लेकिन वहीदा ने कभी इस बारे में खुलकर बात करना पसंद नहीं किया। गुरूदत्त से अपने रिश्ते के बारे में उन्होंने एक बार कहा था कि वह इस बारे में बात नहीं करना चाहतीं। उन्होंने कहा था कि मेरी निजी जिंदगी निजी रहनी चाहिए। किसी का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

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