मुंबई। रिजर्व बैंक ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार आवास भत्ते में बढोतरी किए जाने और देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने से महंगाई बढऩे का जोखिम है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करने के दौरान कहा कि वर्तमान स्थिति में महंगाई की स्थिति अभी लगभग संतुलित है। हालांकि, आगे इसके बढऩे का जोखिम है। जुलाई-अगस्त में अलनीनो के कारण दक्षिण-पश्चिम मानसून की स्थिति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है जिससे इसका असर खाद्य महंगाई पर दिख सकता है।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप कर्मचारियों के आवास भत्ते में बढोतरी होने पर अगले 12 से 18 महीने में महंगाई में एक से डेढ फीसदी तक की वृद्धि हो सकती है। जीएसटी के लागू होने पर भी महंगाई में एक बार बढोतरी देखने को मिल सकती है।
इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की तुलना में अधिक सरकारी घाटा भी महंगाई बढ़ाने का कारक बन सकता है। हाल में वैश्विक स्तर पर हुए घटनाक्रमों से भी कॅमोडिटी की कीमतों में बढोतरी होने की संभावना है जिसका असर घरेलू स्तर पर भी दिख सकता है।
महंगाई के बारे में समीक्षा में कहा गया है कि बीते वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई पांच प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा और इसके पांच प्रतिशत से कम रहने की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में औसत महंगाई दर 4.5 प्रतिशत और दूसरी छमाही में पांच प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
बयान में कहा गया है कि पिछले छह महीने में ऐतिहासिक निचले स्तर को छूने के बाद फरवरी में खुदरा महंगाई बढ़कर 3.7 प्रतिशत रही।
समीक्षा में कहा गया है कि फरवरी में खाने-पीने की चीजें सस्ती हुई थीं, लेकिन बेस अफेक्ट के कारण इसकी महंगाई दर अधिक दर्ज की गई। हालांकि, चीनी, फलों, मांस, मछली, दूध और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ी हैं। ऊर्जा समूह की महंगाई दर लगातार बढ़ रही है।
जारी रहेंगे तरलता कम करने के उपाय : आरबीआई
नए बैंक नोटों के प्रचलन में आने से नोटबंदी के बाद बैंकों में अचानक बढ़ी तरलता अब काफी कम हो गई है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि वह चालू वित्त वर्ष में भी तरलता कम करने के उपाय जारी रखेगी।
रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बयान में बताया कि नोटबंदी के बाद 04 जनवरी 2017 को वाणिज्यिक बैंकों में अतिरिक्त तरलता 7,956 अरब रुपए पर पहुंच गई थी। लेकिन, इसके बाद जैसे-जैसे नए नोट प्रचलन में आते गए और अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह बढ़ता गया तरलता कम होती गई।
केंद्रीय बैंक ने बताया कि फरवरी में औसत अतिरिक्त तरलता 6,014 अरब रुपए रही जो मार्च में और घटकर 4,806 अरब डॉलर पर आ गई। मध्य मार्च के बाद अग्रिम कर के रूप में सरकार की नकदी बैलेंस बढऩे और बैंकों के बैलेंसशीट समायोजन से मार्च के अंत में अतिरिक्त तरलता घटकर 3,141 अरब रुपए रह गई।
आरबीआई ने भी तरलता कम करने के उपाय किए। उसने जनवरी में जहां औसतन 2,002 अरब रुपए की तरलता शुद्ध रूप से अवशोषण किया वहीं मार्च में यह और बढ़कर 4,483 अरब रुपए पर पहुंच गया। उसने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में भी तरलता अवशोषण की उसकी भूमिका जारी रह सकती है हालांकि इसकी रफ्तार कम रहेगी।