नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरूण जेटली ने केन्द्रीय मंत्रालयों तथा पत्र सूचना कार्यालयों के अधिकारियों की कार्यशाला का उदघाटन के दौरान कहा कि अपनी पहुंच के कारण आने वाला समय डिजिटल मीडिया का है। ऐसे में इसके प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सरकारी प्रेस विज्ञप्तियां स्घ्पष्घ्ट होनी चाहिए और उनमें पर्याप्त तथ्य तथा आंकड़े होने चाहिए, ताकि मीडिया के माध्यम से लोगों तक इसे सहजता से पहुंचाया और समझाया जा सके। उन्होंने कहा कि चैबीस घंटे के टीवी चैनलों के आने से मीडिया का माहौल बदला है और अब वह सरकार की सक्रियता के लिए एजेण्डा तक तय करने लगा है । जेटली ने कहा कि चैबीस घंटे टेलीविजन के शुरू होने से समाचारों की परिभाषा ही बदल गई है। अब समाचार माध्यम सिर्फ समाचारों तक सीमित नहीं होकार एजेंडा तय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे हैं। मीडिया अब एजेंडा तय करने लगा है और सरकार और सरकारी अधिकारियों की उस एजेंडे पर प्रतिक्रिया भी लेने लगा है। जेटली ने प्रचार और प्रसार के बीच अंतर समझाते हुए सरकारी मीडिया अधिकारियों से कहा कि वे सरकार से संबंधित जानकारी सरल और सहज भाषा में लोगों तक पहुंचाये । इस मौके पर सूचना प्रसारण (राज्यमंत्री) राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि विभिन्न पक्षों तक व्यापक रूप से पहुंच बनाने के लिए संचार के नये तरीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इस मौके पर सूचना और प्रसारण सचिव बिमल जुल्का ने मीडिया के जरिये प्रसार के लिए पत्र सूचना कार्यालयों के अधिकारियों और उच्चाधिकारियों के बीच बेहतर तालमेल पर भी जोर दिया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे जिस भी स्तर पर काम कर रहे हों वहां पर पीआईबी आॅफिसर को बैठक में जरूर शामिल करें।उन्होंने सूचनाओं के तेजी से प्रसार के संदर्भ में सोशल मीडिया के महत्व की भी चर्चा की। उन्होंने अधिकारियों को सोशल मीडिया के अधिकतम इस्तेमाल पर जोर दिया।