नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि अडाणी पावर व टाटा पावर जैसी विद्युत कंपनियां ग्राहकों से ‘क्षतिपूर्ति शुल्क’ नहीं वसूल सकतीं। इसके साथ ही न्यायालय ने इस बारे में अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले को खारिज कर दिया है।
टाटा पावर की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कोस्टल गुजरात पावर लिमिटेड व अडाणी पावर ने इस बारे में केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) में याचिका दायर की थी।
याचिका में कहा गया था कि रुपए के अवमूल्यन व इंडोनेशिया से आयातित कोयला महंगा होने के कारण उनकी लागत बढ़ गई इसलिए उन्हें अधिक शुल्क दर वसूलने की अनुमति दी जाए। इंडोनेशिया में कोयला निर्यात पर कानून में बदलाव की वजह से लागत बढऩे की दलील दी गई।
न्यायाधीश पी.सी. घोष व न्यायाधीश आर एफ नरीमन की पीठ ने अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले व सीईआरसी के आदेश को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कोयले के दाम में अप्रत्याशित वृद्धि से कंपनियां अपने अनुबंध के अनपालन से मुक्त नहीं हो जातीं हैं।
न्यायालय ने कहा कि चूंकि कंपनियों ने विद्युत वितरण के लिये बोली पेश करते समय जानते बूझते जोखिम लिया था इसलिए वे अनुबंध के दायित्वों से पीछे नहीं हट सकतीं।
अदालत ने कहा कि बिजली वितरण कंपनियों के साथ किए गए विद्युत खरीद समझौते में जो मूल बात है वह यथावत है और समझौते में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि कोयले का आयात केवल इंडोनेशिया से ही एक खास दाम पर किया जाना है।
राजस्थान, पंजाब व महाराष्ट्र की कुछ बिजली वितरण कंपनियों ने बिजली न्यायाधिकरण के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। न्यायाधिकरण ने कहा था कि बिजली उत्पादक कंपनियां भरपाई शुल्क वसूल सकती हैं। न्यायाधिकरण ने इस मामले को शुल्क की गणना के लिए सीईआरसी के पास भेजा था।
उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद शेयर बाजारों में अडाणी पावर व टाटा पावर के शेयर में 16 प्रतिशत तक गिरावट देखने को मिली। बीएसई में अडाणी पावर का शेयर 16.12 प्रतिशत तक लुढ़कने के बाद 37.20 रपये प्रति शेयर बंद हुआ।
वहीं टाटा पावर का शेयर कारोबार के दौरान 6.65 प्रतिशत तक टूटा और अंत में 1.95 प्रतिशत की गिरावट दिखाता हुआ 81.30 रुपए प्रति शेयर बंद हुआ।