बेंगलुरू। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को कहा अपने सॉफ्टवेयर कौशल के बल पर दुनिया में परचम लहरा रहीं भारतीय आईटी कंपनियां दुनिया में कहीं भी नौकरियां चुराती नहीं बल्कि नौकरियां पैदा करती हैं।
देश के अग्रणी आईटी शख्सियतों के साथ एक बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय आईटी कंपनियां नौकरियां चुराती नहीं, बल्कि नौकरियां पैदा करती हैं। चाहे वह अमरीका हो या कोई और देश। हमें अमरीका और शेष दुनिया को दिए उनके योगदान पर गर्व है।
अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में एच1बी वीजा नियमों में किए गए संशोधन पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारतीय आईटी कंपनियों की चिंताओं से अमरीकी प्रशासन को अवगत करा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इस समय वाशिंगटन दौरे पर गए हमारे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अमरीका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस से एच1बी वीजा नियमों में हुए संशोधन को लेकर भारतीय आईटी कंपनियों की चिंताओं से अवगत कराया है। साथ ही उन्होंने अमरीका की अर्थव्यवस्था में भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की अहम भूमिका की ओर भी ध्यान दिलाया है।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारतीय आईटी कंपनियों ने पिछले पांच वर्षो के दौरान अमरीका को 22 अरब डॉलर टैक्स चुकाया और चार लाख नौकरियां पैदा कीं।
उन्होंने कहा कि भारतीय आईटी कंपनियां पारस्परिक विनिमय के आधार पर काम करती हैं। भारत के आईटी कुशल श्रमिक अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं और अनेक अमरीकी कंपनियां बेंगलुरू और भारत के अन्य हिस्सों में लाभ कमा रही हैं, जहां वे वैश्विक बाजार के लिए अपने उत्पादों के निर्माण में हमारी अनूठी योग्यता का इस्तेमाल अपने डेवलपमेंट सेंटरों में करती हैं।
रविशंकर प्रसाद ने हालांकि यह भी स्वीकार किया कि अमरीका और वैश्विक स्तर पर जो कुछ हो रहा है, उसके चलते 150 अरब डॉलर वाली भारतीय आईटी कंपनियां दबाव में हैं, साथ ही उन्होंने इससे निकलने के लिए आईटी दिग्गजों से सलाह भी मांगी।