बीजिंग। चीन के प्रमुख समाचार-पत्र ने सोमवार को कहा है कि हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी से निपटने के लिए विमानवाहक पोत का निर्माण करने की बजाय भारत को पहले अपनी अर्थव्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए।
समाचार-पत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ में सोमवार को प्रकाशित संपादकीय में कहा गया है, “भारत आर्थिक और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सुधार करने की बजाय विमानवाहक पोत बनाने को कुछ ज्यादा ही आतुर है।”
अखबार यह भी कहता है कि चीन और भारत को हथियारों की होड़ में शामिल होने की जरूरत नहीं है, खासकर जब बीजिंग अपना पहला स्वदेश निर्मित युद्धक विमान वाहक पोत समुद्र में उतारने ही वाला है।
चीन के इस विमान वाहक पोत के कारण भारत को होने वाले संभावित खतरे से संबंधित खबरों की प्रतिक्रिया में चीन के समाचार-पत्र में यह संपादकीय सामने आया है।
चीन अप्रैल के आखिर तक अपना पहला स्वदेश निर्मित विमान वाहक पोत समुद्र में उतारने वाला है, जो इस समुद्री क्षेत्र में चीन की शक्ति में और इजाफा करेगा।
अब तक चीन के पास एकमात्र विमानवाहक पोत ‘लियाओनिंग’ सक्रिय रूप से कार्यरत था। चीन ने सोवियत संघ (रूस) के एक अर्धनिर्मित पोत को विकसित कर बनाया था।
संपादकीय में कहा गया है, “भारतीय मीडिया में चीन की सैन्य शक्ति में वृद्धि को लेकर जताई गई चिंताओं को देखते हुए दोनों देशों को हथियारों की होड़ से दूर रहने की जरूरत है।”
संपादकीय के अनुसार, “नई दिल्ली को हिंद महासागर में चीन की बढ़ रही सैन्य शक्ति से निपटने के लिए विमान वाहक पोत बनाने के लिए तत्परता दिखाने की बजाय अपनी अर्थव्यवस्था पर अधिक ध्यान देना चाहिए।”
समाचार-पत्र आगे कहता है, “चीन अपनी अर्थव्यवस्था के साथ तालमेल बिठाते हुए इस पोत का निर्माण कर रहा है और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते बीजिंग अपने समुद्री क्षेत्र की रक्षा के लिए एक मजबूत नौसेना के निर्माण में सक्षम है।”
संपादकीय में यह भी कहा गया है कि विमान वाहक पोत का निर्माण कर भारत एक खराब उदाहरण बन सकता है।
संपादकीय के अनुसार, “भारत ने अपना पहला विमान वाहक पोत इंग्लैंड से 1957 में खरीदा था। लेकिन यह विमानवाहक पोत आधुनिक रणनीतिक जरूरतों पर खरा नहीं उतर पा रहा, जिसके कारण भारत को खुद अपना विमानवाहक पोत बनाना पड़ रहा है।”
इंग्लैंड से खरीदा गया भारत का पहला विमानवाहक पोत ‘आईएएनएस विक्रांत’ 1997 में सेवामुक्त कर दिया गया, वहीं इंग्लैंड से ही 1986 में खरीदा गया दूसरा विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विराट’ भी इसी वर्ष सेवामुक्त हो चुका है।
भारत के पास इस समय सिर्फ एक विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रमादित्य’ है, जिसने 2013 में सेवा देनी शुरू की। इसे 2004 में रूस से खरीदा गया था। भारत अपना पहला स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ नाम से ही इस समय कोच्चि में बना रहा है। भारत इसके बाद एक और विमानवाहक पोत निर्मित करने की योजना बना रहा है।