नई दिल्ली। प्रख्यात अर्थशास्त्री तथा नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय ने मंगलवार को कहा कि कृषि आय को कर के तहत लाकर कर के दायरे को बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पर्सनल इनकम टैक्स पर मिलने वाली छूट को भी खत्म करने की जरूरत है।
यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए विवेक देवरॉय ने कहा कि पर्सनल इनकम टैक्स का बेस बढ़ाने के लिए इस पर मिलने वाली छूट को खत्म करने तथा कृषि आय पर एक हद तक कर लगाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि किसानों को कृषि आय पर ही कर से छूट नहीं मिलती, बल्कि उनके गैर कृषि आय पर भी कर नहीं लगता।
यह पूछे जाने पर कृषि आय पर लगने वाले कर की अधिकतम सीमा क्या होनी चाहिए, देवरॉय ने कहा कि यह शहरी क्षेत्रों के बराबर होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैं कृत्रिम रूप से बनाई गई ग्रामीण-शहरी पहचान में यकीन नहीं करता। इसलिए शहरों में पर्सनल इनकम टैक्स पर लगने वाले कर की जो सीमा है, वही ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी होनी चाहिए।
देवरॉय ने कहा कि सबसे अहम बात यह है कि हम क्या कर सकते हैं, हमें किसानों की एक साल की आमदनी देखने की जगह तीन या पांच साल को आधार बनाकर उनका औसत निकालना चाहिए। क्योंकि कृषि आय में हर साल उतार-चढ़ाव होता रहता है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अधिकतम सीमा शहरी तथा ग्रामीण दोनों के लिए बराबर होना चाहिए।
संवाददाता सम्मेलन के दौरान, नीति (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिग इंडिया) आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने पहले के पांच वर्ष की जगह तीन साल की कार्य योजना के मसौदे का विवरण साझा किया।
पनगढ़िया ने कहा कि अगले तीन वर्षो के दौरान, कर चोरी से निपटने, कर का दायरा बढ़ाने तथा सुधारों के माध्यम से कर प्रणाली को सरल करने की जरूरत है।