आईआईटी कंपनियों ने 5 डे वीक वर्क सिस्टम डवलप किया इसे साथ ही, कर्मचारी दिन भर काम करे, इसके लिए उन्हें लैपटॉप दिए जाने लगे।
जिसके जरिए वह आॅफिस के अलावा कही और से भी आॅफिस का भी काम कर सके। इस सुविधा को नाम दिया गया ‘डब्यूएफएच’ वर्क फॉर्म होम, इस बढ़ते चलन की वजह से आजकल अधिकतर लोग इस चलन का अनुसर्ण कर रहें है।लेकिन इस भेड़ चाल में हम यह भूलते जा रहे हैं, कि ऑफिस में काम करने की बजाय घर से काम करना धरती और पर्यावरण को ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है या नहीं।
घर से काम करने वालाें के अनुमानित आंकड़े :
– 10 से 5 फीसदी लोग दुनिया में घर से काम करते हैं।
– इनमें से 32 फीसदी 35 साल से कम उम्र के प्रफेशनल्स हैं और घर से काम करते हैं।
– अमेरिका में 1.5 करोड़ प्रफेशनल लोग घर से काम करते हैं (कम से कम हफ्ते में एक बार)
– घर से काम करने के दौरान सबसे ज्यादा फोन पर बातचीत भारत के लोग करते हैं, सबसे कम बातचीत का जापान के लोग करते हैं।
बचत कितनी
एक अनुमान के अनुसार कर्मचारी घर से काम करते हैं तो कंपनी हर साल प्रति व्यक्ति 11 हजार डॉलर बचाती है। घर से काम करके कर्मचारी साल अपनी इनकम 3 हजार से 8 हजार डॉलर बचाते हैं। इसी बीच …औसतन 18cc पेट्रोल कार चलाने से साल भर में 4-5 टन कार्बन डाइऑक्साइड पैदा होती है। साल में एक हफ्ते में अगर दो से तीन दिन घर से काम किया जाए तो 37 फीसदी पेट्रोल और डीजल की बचत होती है। इस तरह एक अनुमान के मुताबिक, साल 2020 तक 26 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन रोका जा सकता है।
बिजली खर्च
घर से काम करने पर होने वाला ऊर्जा खर्च 30 फीसदी होता है, जबकि एक घंटे AC चलने का नुकसान 5 से 6 किलोमीटर कार का चलाने के बराबर रहता है। ऑफिस जाना तभी पर्यावरण के लिए बेहतर होगा जब दूरी कम हो या इसके लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल किया जाए।
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