नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को लोगों के दिमाग में भीतर तक घुसी वीआईपी संस्कृति को जड़ से उखाड़ फेंकने और सभी भारतीयों को महत्व देने की जरूरत पर बल दिया।
मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि समय आ गया है, जब वीआईपी (अति महत्वपूर्ण व्यक्ति) संस्कृति को बदलकर ईपीआई (हर व्यक्ति महत्वपूर्ण) कर दिया जाए।
मोदी ने कहा कि हमारे देश में वीआईपी संस्कृति के लिए एक प्रकार की नफरत है, लेकिन जब सरकार ने अधिकारियों की गाड़ियों से लाल बत्ती हटाने का फैसला किया तब मैंने महसूस किया कि यह नफरत कितनी भीतर तक घुसी है।
मोदी ने कहा कि यह लाल बत्ती वीआईपी संस्कृति की सूचक बन गई है, जो हमारे दिमाग में भीतर तक घुसी है। लाल बत्ती को हटाना केवल हमारी प्रणाली का एक हिस्सा भर है, लेकिन हमें इस संस्कृति को अपने दिमागों से हटाने का प्रयास करना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘न्यू इंडिया’ के पीछे की अवधारणा यह है कि ईपीआई को वीआईपी से बदल दिया जाए। ईपीआई का अर्थ है कि हर व्यक्ति महत्वूपर्ण है। हमें 125 करोड़ भारतीयों के महत्व को स्वीकार करना होगा। इसके बाद हमारे पास अपने सपनों और आशाओं को पूरा करने की सामूहिक क्षमता होगी।
गर्मी की छुट्टियों में आराम के दायरे से बाहर निकलिए
मोदी ने रविवार को अपने रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ में युवाओं से अपने आराम के दायरे से निकलकर इन छुट्टियों में कुछ नया करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने युवाओं को नए अनुभव, नई जगह और नए कौशल जानने को अपना उद्देश्य बनाने का सुझाव दिया।
मोदी ने कहा कि बहुत से लोग अपने आराम के दायरे (कंफर्ट जोन) में रहना चाहते हैं। परीक्षाएं खत्म हो चुकी हैं और मैं युवाओं से आग्रह करता हूं कि वे अपने इस दायरे से बाहर निकलें और इन छुट्टियों में कुछ नया करने की कोशिश करें।
मोदी ने कहा कि अनुभव कीजिए कि ट्रेन के भीड़ वाले जनरल डिब्बे में यात्रा करने में कैसा महसूस होता है, एक टिकट खरीदिए और जाइए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अपना फुटबॉल लीजिए और शाम को झुग्गी बस्ती में जाकर वहां के बच्चों के साथ खेलिए। आप को खुशी होगी, यह अनुभव आपको बहुत कुछ सिखाएगा।
दक्षिण एशियाई उपग्रह पूरे क्षेत्र के लिए वरदान : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत द्वारा पांच मई को छोड़ा जाने वाला दक्षिण एशियाई उपग्रह क्षेत्र की आर्थिक और विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा। इस उपग्रह की क्षमता और इससे मिलने वाली सुविधाओं से दक्षिण एशिया की आर्थिक और विकास संबंधी जरूरतें पूरी होंगी।
मोदी ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का खाका बनाने, टेली मेडिसिन, शिक्षा क्षेत्र, आईटी से लेकर लोगों से लोगों का संपर्क बढ़ाने तक यह उपग्रह पूरे क्षेत्र के लिए एक वरदान साबित होगा।
उन्होंने कहा कि यह पूरे दक्षिण एशिया के साथ सहयोग बढ़ाने की दिशा में भारत का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह एक बेशकीमती तोहफा है। यह दक्षिण एशिया के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का एक सटीक उदाहरण है। मैं हमारे साथ मिलकर दक्षिण एशियाई उपग्रह बनाने में साथ देने वाले सभी दक्षिण एशियाई देशों का स्वागत करता हूं।
यह संचार उपग्रह जीसैट-9 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के रॉकेट भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी-एफ09) के जरिए छोड़ा जाएगा। पाकिस्तान को छोड़कर सभी दक्षिण एशियाई देश इस परियोजना का हिस्सा हैं।
प्रकृति अपने नियम बदल रही है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि लोगों को इसे लेकर संवेदनशील हो जाना चाहिए।
मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का विषय केवल शैक्षणिक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि रोजमर्रा के जीवन में लोगों को इसके दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है।
मोदी ने कहा कि कुदरत अब अपने नियम बदल रही है। हम मई और जून में जो गर्मी महसूस करते थे, वह अब मार्च और अप्रेल में करने लगे हैं..कई लोग जो मुझे अपने सुझाव भेजते हैं, वे कहते हैं कि इतनी गर्मी में हम क्या करें।
प्रधानमंत्री ने संवेदनशीलता की बात करते हुए कहा कि बढ़ती गर्मी के बीच हमें लोगों और पक्षियों के लिए समान रूप से संवेदनशील रहना चाहिए।
मोदी ने कहा कि तपती गर्मी में आपके घर में पत्र देने के लिए आने वाले डाकिए से एक गिलास पानी के लिए पूछिए..आंगन में पक्षियों के लिए पानी रखिए।
प्रधानमंत्री ने गुजरात के एक समुदाय द्वारा गौरैया संरक्षण की दिशा में किए गए कार्य का भी जिक्र किया।