पटना। जनता दल यूनाईटेड ने प्रदेश की मांझी सरकार को अल्पमत वाली सरकार बताते हुए बिहार विधान सभा में बड़ी पार्टी होने के नाते मुख्य विपक्षी दल के रूप में पार्टी को मान्यता देने का आग्रह सभाध्यक्ष से किया है।
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह की उपस्थिति में शुक्रवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में विधान सभा में जदयू विधायक दल के नवनियुक्त नेता विजय कुमार चौधरी ने कहा कि प्रदेश की मांझी सरकार के पास पर्याप्त बहुमत नहीं रहने के कारण वह अल्पमत है। बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति में बिहार में अजीव स्थिति पैदा हो गई है।
चौधरी ने कहा कि एक असम्बद्ध सदस्य सरकार के मुखिया बनेहुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोग यह जानना चाहते हैं कि वर्तमान मांझी सरकार को कौन सी पार्टी समर्थन दे रही है। उन्होंने कहा कि जदयू, राजद, कांग्रेस और भाकपा ने वर्तमान मांझी सरकार का विरोध किया है। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने भी अभी तक मांझी सरकार को समर्थन देने की घोषणा नहीं की है।
प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि जदयू ने जहां मांझी को पार्टी से निष्कासित कर दिया है और सरकार के विरोध में है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को विधायक दल का नेता होने के नाते उन्होंने एक पत्र लिखा है। सभाध्यक्ष को लिखे पत्र में यह कहा गया है कि मांझी एक असंबद्ध सदस्य के रूप में मुख्यमंत्री बने हुए हैं।
चौधरी ने कहा कि पत्र में यह भी कहा गया है कि जदयू विधायक दल ने मांझी के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार का सदन में विरोध करने और सदन में विपक्ष में बैठने का फै सला किया है। जदयू सदस्यों की संख्या विधानसभा में सबसे अधिक है। ऎसे में यह जरूरी है कि जदयू को सदन में मुख्य विपक्षी दल के रूप में मान्यता दी जाए तथा सदन में बैठने की व्यवस्था भी की जाए।
प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि राज्यपाल ने जो बातें कही है वह संवैधानिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति से उम्मीद नहीं की जा सकती थी। राज् यपाल का यह कहना कि नीतीश कुमार चाह रहे थे कि उन्हें 48 घंटे में नेता के पद पर बैठा दिया जाए यह सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक पद पर बैठने वाले व्यç क्त से लोग निरपेक्ष भूमिका चाहते हैं। राज्यपाल को कहने से पहले संवाद देना चाहिए था। चौधरी ने कहा कि जदयू को जो आशंका थी वह अब सही साबित हो रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में वर्तमान राजनीतिक स्थिति के लिए प्रधानमंत्री और भाजपा का शह मांझी को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों मांझी ने प्रधानमंत्री से दिल्ली में मुलाकात की थी और उसका फोटोग्राफ तथा आधिकारिक विज्ञाप्ति भी जारी नहीं किया गया। इस मुलाकात को आधिकारिक तौर पर गोपनीय रखा गया। प्रतिपक्ष के नेता ने आरोप लगाया और कहा कि दिल्ली में सत्ता में बैठे नेताओं के इशारे पर बिहार में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश हो रही है जिससे की राष्ट्रपति शासन लगाया जा सके।
प्रतिदिन भाजपा की ओर से बयान दिया जाता रहा है लेकिन मांझी प्रकरण पर चुप्पी साध ली गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा को इसका खामियाजा इस साल होने वाले विधानसभा के चुनाव में भुगतना पड़ेगा। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री मांझी प्रोपगंडा का सहारा लेकर अपने लोगों के बीच छवि बनाने में लगे हुए हैं। मांझी ताबड़ तोड़ घोषणा करते जा रहे हैं और उन्हें सरकारी खजाने का भी ख्याल नहीं है। उन्होंने कहा कि विकास के लिए एक मापदंड और रोड मैप तैयार किया जाता है लेकिन मांझी ने इन सबकों दरकिनार कर दिया है।
कठपुतली बनकर काम नहीं कर सकता : मांझी
इस बीच मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार ने उन्हें मुख्यमंत्री के लिए मनोनीत किया, इसका अर्थ यह नहीं है कि वह कठपुतली बनकर उनके कहा अनुसार ही काम करेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता और प्रवक्ता मुख्यमंत्री को सार्वजनिक तौर पर गाली दे रहे थे और इस बारे में जब उन्हाेंने नीतीश कुमार, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के साथ बैठक में जब यह बात उठाई तो कुमार ने चुप्पी साध ली।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुमार भीष्म पितामह की तरह पार्टी में हो रहे सारे कुकर्म और अन्याय होता देखते रहे। ऎसे में महाभारत तो होना तय था। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने कोई भी ऎसा काम नहीं किया जो पार्टी या बिहार की जनता के हित के खिलाफ था बल्कि उन्होंने ऎसा काम किया जो जदयू के जनाधार को बढ़ाने वाला था। मांझी ने कहा कि जब वह स्वतंत्र होकर काम करने लगे तब उन्होंने छात्रवृçा के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति की अनिवार्यता को कम कर अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए 55 प्रतिशत तक कर दिया। इसी तरह सरकारी ठेके दारी में अनुसूचित जाति-जनजाति को प्राथमिकता देने और किसानों को मुफ्त बिजली देने का निर्णय लिया।