दुनिया दो विश्वयुद्ध झेल चुकी है और इसकी चपेट में कई देश तबाह हो चुके हैं। जापान का हिरोशिमा शहर कौन भूल सकता है, जिस पर अमेरिका ने परमाणु बम गिराया था। आज भी वहां बच्चे अंधे, बहरे, गूंगे पैदा होते हैं।
दो विश्वयुद्ध आज की तारीख में उतना नुकसानदेह नहीं हुए थे। उस समय सिर्फ दो-चार देशों के पास ही परमाणु हथियार हुआ करते थे, लेकिन आज स्थिति बिल्कुल उलट हो चुकी है। दो-चार नहीं आज कई देशों के पास परमाणु हथियारों का अंबार लगा हुआ है और कई अन्य देश भी परमाणु हथियारों को बनाने में लगे हुए हैं।
चीन, भारत, इजराइल, ब्रिटेन, अमरीका, रूस, फ्रांस, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान और ईरान के पास परमाणु हथियारों के जखीरे हैं। ईरान के पास अभी अधिक परमाणु हथियार नहीं हैं, लेकिन उसने भी काफी हथियार बना डाले हैं और आए-दिन मिसाइलों का परीक्षण होता रहता है। आज दुनिया अंगारों पर खड़ी है।
बचपने में सुना करता था कि तीसरा विश्वयुद्ध जरूर होगा, कब होगा, कैसे होगा और क्यों होगा, यह नहीं पता था, पर होगा जरूर। अब लग रहा है, समय बिल्कुल करीब आ गया है तीसरे विश्वयुद्ध का।
तीसरे विश्वयुद्ध का माहौल बन रहा है, बल्कि बन चुका है। दुनिया उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह किन जोंग के आए-दिन के परमाणु मिसाइलों के परीक्षण से त्रस्त है। जबसे अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बने हैं, तबसे हर तरफ से लड़ाई ही लड़ाई हो रही है।
पहले के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश हों या ओबामा, हमेशा बड़े देशों से तालमेल बनाकर और संयुक्त राष्ट्र को धता बनाकर दूसरे देशों पर हमले करते आ रहे हैं और अपने हथियारों की नुमाइश दिखाते आ रहे हैं। इन देशों में इराक, लीबिया, लेबनान, सीरिया, अफगानिस्तान आदि देश हैं।
जबसे डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने हैं, उन्होंने तो किम जोंग को पीछे छोड़ते हुए सनकी का ताज अपने ऊपर ले लिया है। एक तरफ आतंकवाद के नाम पर और आईएएस के बहाने इराक पर हमले हो रहे हैं तो सीरिया में असद सरकार जो कि सऊदी अरब, इजराइल के आंखों की किरकिनी बनी हुई है, उनको हटाने के नाम पर ट्रंप की सेना वहां की फौजों पर हमले कर रहे हैं। अमेरिका और नाटो देशों की मदद से सीरिया में आतंकी संगठन आईएस ने आधे से अधिक सीरिया के शहरों पर कब्जा कर लिया, तब असद ने अपने मित्र देश रूस से मदद मांगी।
रूस ने फौरन असद की मदद के लिए अपने लड़ाकू हवाई हमलों से आईएस जैसे संगठनों की कमर तोड़ दी। इससे सीरियाई फौजों में जान फूंक दी। फायदा उठाते हुए सेना ने आईएस से कई शहर छुड़वा लिए। रूस की मदद का फायदा इराक को भी मिला। इराकी फौज ने भी कई शहर आईएस से छुड़वा लिए।
रूस की सैनिक कार्रवाई को रोकने के लिए अमेरिका और नाटो देशों ने पूरी ताकत झोंक दी, मगर रूस नहीं माना। उसने मित्र देश सीरिया की भरपूर मदद की और आईएस के पैर उखाड़ दिए। अपने को सीरिया में कमजोर देख ट्रंप ने हताशा में सीरिया फौजों पर 59 क्रूज मिजाइल दाग दिए। इससे पुतिन और ट्रंप आमने-सामने आ गए।
रूस ने अमेरिका को कह डाला अगर उसने ऐसी हिमाकत की तो फिर जंग के लिए तैयार रहे अमेरिका। सीरिया और इराक जंग में दुनिया दो धड़ों में बंट गई है। अमेरिका, नाटो, सऊदी अरब, कतर, इजराइल जैसे देश असद के खिलाफ हैं, जबकि रूस, ईरान, इराक, लेबनान उत्तर कोरिया और कुछ हद तक चीन सीरिया के समर्थन में खुलकर सामने आ चुके हैं।
अगर अमेरिका ने सीरिया की फौजों पर अगला हमला किया तो रूस खामोश नहीं बैठेगा और अमेरिका को तगड़ा जवाब देगा। उसने अरब सागर में अपने शक्तिशाली जंगी बेड़े तैनात कर दिए हैं।
इधर दुनिया की पांचवीं शक्तिशाली फौज और 20वां परमाणु हथियारों से लैस उत्तर कोरिया ने अमेरिका से दो-दो हाथ करने की ठान चुका है। उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया की दुश्मनी बहुत पुरानी है। अमेरिका दक्षिण कोरिया का जी-जान से समर्थन कर रहा है।
आए दिन बॉर्डर पर दक्षिण कोरिया-अमरीका युद्ध अभ्यास के बहाने ताकत का प्रदर्शन करते रहते हैं और उत्तर कोरिया को धमकाने की कोशिश करते रहते हैं, पर तानाशाह ने अमेरिका को दरकिनार करते हुए कुछ सालों में इतने परमाणु मिसाइलों का परीक्षण किया है, जिससे अमेरिका बहुत चिढ़ा हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार शायद 2020 तक उत्तर कोरिया अमेरिका के कई शहर जद में लेने वाली मिसाइलें बना लेगा। यही चुभन अमेरिका को खाए जा रही है। ट्रंप ने समुद्र में दुनिया का सबसे ताकतवर लड़ाकू बेड़ा तैनात कर दिया, जिससे सनकी किम जोंग का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच चुका है। दोनों पक्षों की ओर से खतरनाक बयान सामने आ रहे हैं। आए दिन किम जोंग अमेरिका को परमाणु हमले की धमकी दे रहा है।
अब अमेरिका उपराष्ट्र ने भी ताजा बयान में कहा है कि अमेरिका भी कोरिया पर परमाणु हमला करने में चूकेगा नहीं। इस बयान पर पलटवार करते हुए राष्ट्र संघ में कोरिया राजदूत ने ट्रंप को खुली चुनौती दे डाली है। अमरीका कोरिया को सीरिया या इराक न समझे। कोरिया कोई कमजोर देश नहीं अमेरिका की ईंट से ईंट बजाने की क्षमता रखता है, इतना नुकसान करेगा कि अमेरिका कभी सपने में भी कोरिया से टकराने की हिम्मत नहीं करेगा।
इस धमकी के बाद ट्रंप के तेवर कुछ नर्म पड़ गए हैं। उन्होंने उत्तर कोरिया के मित्र देश चीन से कहा है कि वह कोरिया को समझाए और बातचीत के जरिए मसले को हल करे। यह समझने वाली बात है कि क्या चीन अमेरिका की मदद करेगा? क्योंकि जबसे ट्रंप आए हैं तबसे चीन-अमेरिका में दरारें सातवें आसमान पर पहुंच गई हैं।
अरब सागर पर अमेरिका ने जिस तरह चीन को धमकियां दी हैं, उससे चीन ट्रंप से बहुत नाराज है। चीन ने भी अमेरिका को खुली धमकी दी थी कि अगर उसने अरब सागर की तरफ कुछ गड़बड़ करनी की कोशिश की तो चीन भरपूर ताकत से अमेरिका से सामना करेगा और आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए वह तैयार है।
चीन और उत्तर कोरिया के बीच संधि है कि अगर उत्तर कोरिया पर कोई आक्रमण करता है तो चीन उसकी मदद करेगा। जंग की आहट को देखते हुए चीन ने डेढ़ लाख सैनिक उत्तर कोरिया की सीमा पर तैनात कर दिए हैं।
उधर रूस ने भी अपना जंगी बेड़ा कोरिया की तरफ रवाना कर दिया है और मिसाइलों का रूख नाटों देशों की तरफ मोड़ दिया है। जंग किसी भी समय छिड़ सकती है अगर जंग छिड़ गई तो उत्तर कोरिया अकेला नहीं होगा। चीन, रूस, पाकिस्तान और कुछ अन्य देश शायद वियतनाम भी कोरिया के पाले में होंगे। ट्रंप के साथ नाटो देश, दक्षिण कोरिया, जापान आदि देश खड़े होंगे। इस लड़ाई में भारत न्यूट्रल रहेगा। क्योंकि अगर भारत अमरीका का साथ देता है तो उसका परममित्र रूस नाराज हो जाएगा।
हालांकि भारतीय मीडिया इस समय खुलकर ट्रंप का समर्थन कर रही है। मीडिया अमेरिका के पक्ष में और रूस के खिलाफ खड़ी है। हालांकि नई सरकार जो बनी है वह भी अमरीका का फेवर करती है। मगर फिर भी भारत इस लड़ाई से अलग रहेगा। यह लड़ाई आसान नहीं होगी।
इस लड़ाई में लगभग तय है कि उत्तर कोरिया परमाणु हमला करेगा। यह लड़ाई एकतरफा नहीं बल्कि कई जगहों से लड़ी जाएगी। उधर सीरिया, इराक में रूस, ईरान, लेबनान, चीन कुछ और देश अमेरिका और नाटो देशों में भी भयंकर लड़ाई होने की संभावना है। दक्षिण एशिया, अरब सागर में भी अमेरिका को रूस, चीन चारों तरफ से घेरेंगे।
तीसरा विश्वयुद्ध एकतरफा नहीं होगा, दोनों पक्षों को काफी ज्यादा नुकसान झेलना पड़ सकता है। इतना समझ लें कि आधी दुनिया ही खत्म हो सकती है!
रजा हुसैन
(ये लेखक के निजी विचार हैं)