![एक दिन तीन घटनाएं, ये जनप्रतिनिधि फिर लौटे तो तबाह ही रहेगा सिरोही एक दिन तीन घटनाएं, ये जनप्रतिनिधि फिर लौटे तो तबाह ही रहेगा सिरोही](https://www.sabguru.com/wp-content/uploads/2017/05/tree-1.jpg)
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सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिरोही जिले में एक ही दिन में तीन घटनाक्रम ऐसे हुए जिसने यहां के पर्यावरण, प्रशासन और कानून व्यवस्था की तबाही की पोल खोल दी। यूं तो सोशल मीडिया में जिले के वर्तमान जनप्रतिनिधियों के प्रति जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल ही रहा है, लेकिन शुक्रवार के घटनाक्रम ने यह तय कर दिया यदि अपनी पीढियों को बेहतर भविष्य देना है तो वर्तमान जनप्रतिनिधियों को फिर से घर भेजना होगा।
फिर चाहें वो किसी भी पार्टी का क्यों ना हो क्योंकि सिरोही के अहित पर चुप्पी साधकर बैठ जाने वाला कोई भी जनप्रतिनिधि सिरोही की भावनाओं को प्रतिनिधित्व किसी भी सदन या सरकार ने में नहीं कर सकता। इस पर भी आयातित नेताओं के प्रति तो विशेष सावधानी बरती जाने की आवश्यकता है।
आश्चर्य इस बात का है कि जिले में वर्तमान जनप्रतिनिधियों का स्थान लेने के इच्छुक सत्ता पक्ष और विपक्ष के कोई भी नेता इन घटनाक्रमों पर इस तरह चुप्पी साधे बैठे हैं कि जैसे इस पर उनकी मौन स्वीकृति हो। ऐसे में वर्तमान में सत्ता का सुख लेने वाले जनप्रतिनिधियों को फिर से मौका देना हर सिरोहीवासी के लिए अपने ही बच्चों और संतति के साथ पर्यावरण, स्वास्थ्य, कानून-व्यवस्था, शिक्षा के क्षेत्र में किए जाने वाले घोर अन्याय से कम नहीं होगा।
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-घटनाक्रम एक, पर्यावरण की तबाही
जिला मुख्यालय पर कलक्टरेट बंगले से जेल रोड होते हुए बनाए जा रहे नए गौरव पथ के लिए कलक्टर आवास के सामने के पचास साल से भी ज्यादा पुराने नीम के पेडों का धराशायी किया जाना हर किसी को अखरा।
यह इसलिए भी अखरा कि वर्तमान में सत्तासीन पार्टी पर्यावरण सुरक्षा को अपना ध्येय बताने के बाद भी पेडों को शिफ्ट करने का विकल्प मौजूद होने के बाद भी यदि पेडों को काटकर नीलाम करने पर आतुर है तो फिर इनसे पर्यावरण की सुरक्षा और सिरोही के भविष्य को बचाने की आस रखना बेमानी है।
पीडब्ल्यूडी ने गौरव पथ बनाने के लिए पेडों को शिफ्ट करने की बजाय इन्हें काटने का विकल्प चुनकर पहली भूल की और सरकार व सिरोही के वर्तमान जनप्रतिनिधियों ने इसका समर्थन करके दूसरी और सबसे बडी भूल की। इस मार्ग पर गौरव पथ बनाने के लिए करीब छह दर्जन से ज्यादा पेडों को काटने की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन प्रशासन इस बात को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहा है कि उसने पीब्ल्यूडी की तरफ से अस्सी पेडों को काटने की अनुमति देने की बजाय करी चालीस पेड ही काटने की अनुमति दी।
सबसे दुखद बात यह है कि यह काम उस पार्टी के शासन मे ंहो रहा है जिसके प्रधानमंत्री और केन्द्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्री इस बात पर जोर दे रहे हैं कि सडक निर्माण में पेडों को काटने की बजाय उनके ट्रांसप्लांट करने पर काम किया जाए।
-दूसरा घटनाक्रम, कलक्टर का तबादला
सिर्फ छह महीने में ही कलक्टर का तबादला वर्तमान जनप्रतिनिधियों को सिरोही के साथ किया गया दूसरा छलावा था। जबस भाजपा की वसुंधरा सरकार दूसरी बार प्रदेश में आई है तब से जिले में ईमानदार प्रशासन देखने को नहीं मिला। अब जब एक ईमानदार और कायदे से काम करने वाला कलक्टर जिले को मिला तो इन्हें छह महीने में स्थानांतरित कर दिया दिया गया।
दरअसल, वर्तमान जिला कलक्टर अभिमन्युकुमार के आने से पहले नेताओं ने कलक्टर कार्यालय समेत अन्य कार्यालयों को स्वच्छंद विचरण करने का अभयारण्य बना लिया था। अभिमन्युकुमार के आने के बाद सत्ताधारी नेताओं का बिना किसी काम के कार्यालयों में बैठे रहने पर अंकुश लगा। इतना ही नहीं पिछले तीन सालों में जिले में ढीली कमान वाले अधिकारियों की नियुक्ति से प्रशासनिक ढांचा इस कदर चरमरा गया था कि लोगों ने कलक्टरी की ओर रुख करना भी बंद कर दिया था।
अभिमन्युकुमार के आने के बाद कलक्टर चैम्बर में घुसने वाले लोगों की संख्या में अंकुश लगाने की विसंगति को छोड दिया जाए तो किसी फरियादी के खाली लौटने की घटनाएं कम ही देखने को मिली हैं। वैसे अभिमन्यु कुमार का करौली जैसा चेलेंजिंग जिला मिला है और सिरोही का भी यह नसीब रहा है कि एक फ्रेश आईएएस की जगह फ्रेश आईएएस ही सिरोही का कलक्टर बनाकर भेजा गया है।
अन्यथा प्रमोटी आईएएस अधिकारियों को कलक्टर बनाकर भेजने का दंश जिले ने बखूबी झेला हुआ है। वैसे जिला कलक्टर के स्थानांतरण को लेकर भाजपा के इक्केदुक्के नेता ज्यादा लालायित थे। स्थिति यहां तक थी कि इससे पहले निकली स्थानांतरण सूची में वर्तमान जिला कलक्टर का नाम नहीं आने पर चिंतित एक जनप्रतिनिधि तो सिरोही के एक कद्दावर नेता से अपनी व्यथा बताने के लिए राज्य सरकार की प्रमुख योजना के आयोजित कार्यक्रम में भी पहुंच गए।
यह आरोप लगने लगे हैं कि इनकी ईमानदार कार्यप्रणाली भाजपा के नेताओं को रास नहीं आ रही थी। कई भाजपा नेताओं के उलजुलूल कामों पर तो इन्होंने पूरी तरह से पाबंदी तक लगा दी थी, इससे दो-तीन दर्जन कद्दावार नेताओं को छोडकर भाजपा का साधारण कार्यकर्ता भी खुश ही था। वैसे अभिमन्युकुमार की जगह सिरोही कलक्टर बनकर आने वाले संदेश नायक की कार्यप्रणाली भी ऐसी ही रही तो आने वाले चुनावों में जनता में भाजपा की छवि में कुछ हद तक सुधार तो होगा।
-तीसरा घटनाक्रम, जिला प्रमुख के यहां चोरी
जिले में कानून-व्यवस्था को लेकर भी पिछले तीन साल से लोग परेशान ही रहे हैं। पुलिसिंग इतनी ढीली की कानून तोडने वालों में डर तक नहीं रहा। स्थिति यह आ गई कि चोरियां, लूट, नशे का व्यापार, सट्टा आदि तो अपने चरम पर पहुंच गया।
जिला मुख्यालय ड्रग्स और ड्रग्स में लिप्त युवाओं की छोटी-मोटी चोरियों से त्रस्त है तो शेष इलाके में भी सट्टा, ड्रग्स, लूट, चोरी, बाइकर्स टेरर जैसे अपराधों में वृद्धि ही हुई है। ऐसे में आबूरोड में जिला प्रमुख के घर में चोरी हो जाना कानून-व्यवस्था पर सबसे बडा तमाचा है। वैसे वर्तमान पुलिस कप्तान की कार्यप्रणाली निवर्तमान पुलिस कप्तान से काफी बेहतर बताई जा रही है।
फिर भी लम्बे समय से चरमराई कानून-व्यवस्था उनके लिए चेलेंज है। बेहतर पुलिसिंग के लिए अपनी टीम में परिवर्तन करना भी उनके लिए आवश्यक है। वैसे एक बात बतानी आवश्यक है कि विपक्ष पूर्व में कई पुलिस अधीक्षकों के स्थानांतरण के पीछे भी सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के अनुसार स्थानांतरण और पोस्टिंग नहीं किए जाने का आरोप लगाता रहा है। जब पुलिस कप्तान ने इनकी मांगों के अनुसार ट्रासंफर पोस्टिंगें की तब से जिले में कानून-व्यवस्था के हालात विकट हो गए हैं।