उस सागर की महानता ही है जिसके जल मे से एक चिड़िया चोंच भर कर ले गई। एक चोंच भर जल जाने से सागर का क्या घट गया। सागर का ना तो अस्तित्व घटा ओर ना ही धर्म घटा। एक प्यासी आत्मा को सागर ने जल पिला कर उसकी तृष्णा को मिटा दी ओर एक आत्मा सागर को वरदान दे गई।
मानव को भी सागर की तरह अपने कद को ऊंचा बनाए रखना चाहिए। अपनों के लिए, अपना त्याग कर अपनी महानता का परिचय देना चाहिए, कारण मृत्यु के बाद यह देह स्वत: ही मिट जाएगी और उसके बाद तुम्हारा अस्तित्व ही नहीं रहेगा।
इस जगत मे क्या पाप है और क्या पुण्य यह सब कुछ नहीं है। यह केवल अपना अपना दृष्टिकोण है और इस शरीर का रिश्ता, इस शरीर मे बैठी आत्मा से है शेष रिश्ते तो गौण ओर स्वार्थ के ही है। आत्मा का रिश्ता केवल एक आत्मा से ही होता है, क्योंकि कि वह स्वयं प्रकाशमान है। अजर है। अमर है अविनाशी है। दो आत्माओं का मिलन ही परमात्मा का सिद्ध रूप है।
हे श्याम तू वास्तव में कठोर है जब तू मुस्कराता है तो लगता है कि तू मेरा है। मैं यही चाहता हू की तू तेरे मूल रूप में मुझे एक बार मुझे छिपा ले ओर मेरी बिगडी सवार दे। हे प्राणनाथ तू मेरे जीवन की एक बार प्यास बुझा। तेरा क्या बिगड जाएगा तेरा क्या खो जाएगा ओर तेरा क्या बिगड जाएगा।
लेकिन यह सब कुछ मै तुझे कहता हूं तो तू छिप जाता है ओर मेरे सामने आने से कतराने लगता है। तू बडा दिल वाला होकर भी मुझे कुछ देने मे झिझक करता है, बता हम भी क्या करे। लगता है तू किसी फिर नई प्रेम कहानी में फंस गया है।
फिर भी तू अपनी पहली फुर्सत में मेरे पास आ, तुझे देखते ही मेरी तृप्ति हो जाएगी। ऐसा करने से तुम्हारा क्या बिगड जाएगा श्याम। यह कहते कहते उस प्रेम दीवानी मीरा की आंखों में आंसू आ गए और वह फिर श्याम सुंदर की महिमा गाने लगी।