भोपाल। ज्योतिषशास्त्र में कुंडली का विशेष महत्व बताया गया है। ज्योतिष के जानकार किसी भी जातक की कुंडली देखकर उसके बारे में सभी तरह की जानकारी दे सकते हैं। इसीलिए बच्चे के जन्म के बाद सबसे पहला काम कुंडली बनाने का ही किया जाता है।
कुंडली में शुभ और अशुभ दोनों योग होते हैं। जिनमें कुछ ग्रह योग अशुभ माने जाते हैं, जो व्यक्ति के जीवन का सुख-चैन छीन लेते हैं तो कुछ ग्रह योग ऐसे होते हैं तो व्यक्ति का जीवन संवार देते हैं। इन्हीं योगों में व्यक्ति की कुंडली में धन का भी शुभ योग होता है।
मनुष्य का जीवन कई समस्याओं से ग्रसित होता है, लेकिन सभी समस्याओं का अधिकतर धन से संबंध होता है। धन को प्राप्त करने के लिए मनुष्य तरह-तरह के उपाए व्रत, पूजा-पाठ, अनुष्ठान तक करने से पीछे नहीं हटता। ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि में धन वैभव और सुख के लिए कुण्डली में मौजूद धनदायक योग या लक्ष्मी योग काफी महत्वपूर्ण होता है।
जन्म कुण्डली एवं चंद्र कुंडली में विशेष धन योग तब बनते हैं जब जन्म व चंद्र कुंडली में यदि द्वितीय भाव का स्वामी एकादश भाव में और एकादशेश दूसरे भाव में स्थित हो अथवा द्वितीयेश एवं एकादशेश एक साथ व नवमेश द्वारा दृष्ट हो तो व्यक्ति धनवान होता है।
पंडित रमाकांत भार्गव ने बताया कि शुक्र की द्वितीय भाव में स्थिति को धन लाभ के लिए बहुत महत्व दिया गया है, यदि शुक्र द्वितीय भाव में हो और गुरु सातवें भाव, चतुर्थेश चौथे भाव में स्थित हो तो व्यक्ति राजा के समान जीवन जीने वाला होता है। ऐसे योग में साधारण परिवार में जन्म लेकर भी जातक अत्यधिक संपति का मालिक बनता है। सामान्य व्यक्ति भी इन योगों के रहते उच्च स्थिति प्राप्त कर सकता है।