गुवाहाटी/बीजिंग। असम के तेजपुर सैन्य पट्टी से उड़ान भरने के थोड़ी ही देर बाद दोनों पायलटों सहित लापता हुए भारतीय वायु सेना का सुखोई-30 विमान की तलाश दूसरे दिन बुधवार को भी जारी रही, हालांकि अब तक विमान का कोई सुराग नहीं मिल सका है।
इस बीच चीन ने कहा है कि उसके पास लापता भारतीय युद्ध विमान की कोई जानकारी नहीं है। साथ ही चीन ने तलाशी अभियान के दौरान सीमावर्ती इलाके में भारत को शांति भंग न करने की चेतावनी भी दी।
वायु सेना ने बताया कि बुधवार को खराब मौसम के चलते तलाशी एवं राहत अभियान बाधित हुआ। वायु सेना ने एक बयान जारी कर कहा कि अब तक विमान या उसके पायलटों के बारे में कोई सुराग नहीं मिला है।
बुधवार को वायु सेना ने इलेक्ट्रो ऑप्टिकल पेलोड के साथ सी-130 विमान, एक अत्याधुनिक हल्के हेलीकॉप्टर और चेतक हेलीकॉप्टरों को तलाशी अभियान के लिए रवाना किया। रेकी क्षमता से युक्त एक सुखोई-30 विमान को भी तलाशी अभियान में लगाया गया।
हवाई तलाशी अभियान के साथ-साथ वायु सेना ने जमीन पर अपनी चार टीमें भेजीं, जिसमें भारतीय सेना के नौ जवान और राज्य प्रशासन के दो अधिकारी शामिल हैं।
वायु सेना ने कहा कि तलाशी अभियान वाले इलाके में मौसम बिगड़ने के चलते अभियान बाधित हुआ। इस बीच चीन ने कहा है कि उसके पास लापता भारतीय युद्ध विमान की ‘कोई जानकारी’ नहीं है।
चीन ने तलाशी अभियान के दौरान सीमावर्ती इलाके में भारत को शांति भंग न करने की चेतावनी भी दी।
लापता विमान ने नियमित प्रशिक्षण के तहत मंगलवार की सुबह 9.30 बजे चीन की सीमा से 172 किलोमीटर दूरी पर स्थित तेजपुर वायु सेना हवाई पट्टी से उड़ान भरी थी।
अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा से सटे डौलासांग इलाके के पास सुबह करीब 11.10 बजे विमान का संपर्क रडार और रेडियो से टूट गया।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने बुधवार को बीजिंग में कहा कि उनके पास लापता भारतीय युद्ध विमान की कोई जानकारी नहीं है।
संवाददाता सम्मेलन में लापता भारतीय युद्ध विमान से जुड़े सवाल और यह पूछे जाने पर कि इसमें चीन सहयोग देगा, लू ने कहा कि सबसे पहले, भारत-चीन सीमा के पूर्वी इलाके में हमारी स्थिति बिल्कुल साफ है। हम दक्षिण तिब्बत में स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि भारत दोनों देशों के बीच बनी व्यवस्था पर टिका रहेगा और सीमावर्ती इलाके में शांति एवं स्थिरता को भंग करने से बचेगा। उल्लेखनीय है कि बीजिंग अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों को दक्षिण तिब्बत कहता रहा है।