सबगुरु न्यूज-सिरोही। भाजपा में अभी जबरदस्त अंतद्र्वंद्व चल रहा है। जनप्रतिनिधि और पार्टी पदाधिकारी कई बार आमने-सामने टकराव की स्थिति में नजर आ रहे हैं। दो ताजा मामले सामने हैं। कुछ जनप्रतिनिधियों ने स्वीकार किया है कहीं पर जनप्रतिनिधि अनैतिक और अवैधानिक काम करने वाले पार्टी पदाधिकारियों से दब रहे हैं तो कहीं उनके दबाव के बिना ही अपना काम कर ले रहे हैं।
पार्टी हित से निजी हितों को सर्वोपरि रखने वाले नवागंतुक कार्यकर्ताओं की वजह से पूरी तरह से किनारे कर दिए गए भाजपा के पुराने समर्पित कार्यकर्ताओं की कुंठा पार्टी की बदहाली देखकर बढ ही रही है। इनमें से कईयों ने तो अपनी छवि को देखते हुए राजनीतिक संयास तक ले लिया है। हालात यह भी हैं कि पार्टी में दीनदयाल के सिद्धांतों की पालना करने वाले और दीनदयाल के सिद्धांतों के विपरीत काम करने वाले कार्यकर्ताओं के दो धडे समानांतर रूप से काम कर रहे हैं और विरोध कर रहे हैं।
संक्षिप्त में बोला जाए तो जयपुर स्तर पर जो विवाद वसुंधरा राजे और घनश्याम तिवाडी का चल रहा है, इसी तरह के विवादों में प्रदेश में बूथ स्तर तक तलवारें खिंची हुई हैं। समर्पित कार्यकर्ता दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांतों से विचलन बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं।
एक मामला सिरोही का है दूसरा आबूरोड का। सिरोही के मामले में एक जनप्रतिनिधि के खिलाफ पार्टी पदाधिकारियों ने असहयोग आंदोलन जारी कर दिया है तो आबूरोड में पदाधिकारी खुली बगावत पर उतर आए हैं। सिरोही में हाल ही में की गई एक राजनीतिक नियुक्ति पर जनप्रतिनिधि पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के निशाने पर आ गए हैं।
यहां उनके खिलाफ असयोग आंदोलन शुरू हो गया है। स्थिति यह है कि असहयोग आंदोलन में शामिल पदाधिकारियों को रोजी-रोटी की आॅक्सीजन देकर जो पाल पोस रहे हैं उन्हें विरोध सह रहे जनप्रतिनिधि ही बचा भी रहे हैं। एक तरह से देखा जाए तो कार्यकर्ताओं के निशाने पर आए जनप्रतिनिधि राजनीतिक अपरिपक्वता के कारण अपने ही करीबियों के निशाने पर आ चुके हैं।
उधर, आबूरोड में एक जनप्रतिनिधि भाजपा की राजनीति से इसलिए तंग आ गए हैं कि कथित रूप से उनकी पार्टी के पदाधिकारी सरकार द्वारा बनाए कानूनों का उल्लंघन भी कर रहे हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए दबाव भी बना रहे हैं।
हाल ही में एक पार्टी पदाधिकारी के यहां पर की गई कार्रवाई से खफा होकर पदाधिकारी ने पार्टी के अन्य पदाधिकारियों को जनप्रतिनिधि के खिलाफ लामबंद करने का काम शुरू कर दिया है। कथित रूप से ऐसा करके पार्टी पदाधिकारी जनप्रतिनिधि पर उनके यहां पर किए जा रहे नियमविरुद्ध कामों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने का दबाव बना रहे हैं।
एक जनप्रतिनिधि ने तो एक मामला ऐसा भी बताया कि जहां स्थानीय निकाय ने सडक पर व्यापार करने वाले रेहडी वाले को मात्र एक हजार रुपये की रसीद काटकर ही सडक पर एक महीने तक व्यापार करने की अनुमति दे दी, वहीं उन्हीं की पार्टी के एक राजनीतिक पदाधिकारी पर उसी व्यक्ति से सडक पर व्यापार करने के लिए पांच सौ रुपये प्रतिदिन की मांग करने का भी आरोप लगा है। इन स्थितियों से तो ही कांग्रेस को भाजपा पर अनैतिक और अवैधानिक कामों के लिए सरकारी अधिकारियों पर दबाव बनाने का आरोप लगाने का मौका मिल रहा है।