Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
जय बोलो भगवान की जय बोलो ... - Sabguru News
Home Astrology जय बोलो भगवान की जय बोलो …

जय बोलो भगवान की जय बोलो …

0
जय बोलो भगवान की जय बोलो …

अपमान करने वाला व्यक्ति स्वयं नष्ट हो जाता है और जो अपना अपमान होने पर भी क्रोध नहीं करता है और सम्मान होने पर खुश होकर फूल नही उठाता। जो सुख और दुख में समान दृष्टि रखता है, उस धीर पुरुष को प्रशान्त कहते हैं।

एक दिन प्रकृति अपमान करने वाले को मिट्टी में मिला देती है और जिसका अपमान हुआ है उसकी राजसिंहासन पर ताज पोशी हो जाती हैं। प्रकृति की यही खूबी उसके न्याय सिद्धांत को प्रकाशित करती है।

सुख, दुख, हानि, लाभ, सफलता और असफलता इनका मुल्यांकन कागज के टुकड़े से नहीं वरन भूतकाल में दिल पर पडे थपेडों से बने रेखा चित्र ही बता सकते हैं। इन का सही मायने मे बयान पीड़ित जन ही कर सकता है, हवा से बजने वाले शंख नहीं।

हालातों से पीटा पीड़ित जन ना चाहते हुए भी अपने अपमान का बदला किसी की हौसला अफजाई बढ़ाने के लिए सम्मान में कर देता है, क्योंकि उसे अपने को फिर से बेवजह कुचले जाने का डर होता है। उसे चलित न्याय सिद्धांतों पर नहीं वरन् प्रकृति के न्याय सिद्धांतों पर भरोसा होता है।

एक बार सप्त ऋषि गण ज्ञान व धर्म की महिमा गाते गाते पुष्कर तीर्थ में पहुंचे वहा एक विस्तृत जलाशय को देखा जो कमल के पुष्पों से आच्छादित था। उस सरोवर में वे ऋषि गण उतरे और मृणाल उखाड उखाड कर ढेर कर दिया। सरोवर में स्नान आदि कर वह बाहर निकले, लेकिन वहा मृणाल नहीं देख कर वे परेशान हो गए और बोले कि जिसने भी मृणालों की चोरी की वह पापी है।

सभी में से शून्य सख ऋषि बोले जिसने भी मृणालों की चोरी की है वह न्याय पूर्वक वेदों का अध्ययन करे, अतिथियों में प्रीति रखने वाला गृहस्थ हो, सदा सत्य बोले।

ऋषियों ने यह सुन कर तुरंत कहा कि शून्यः सख तुम्हारी बातों से हम समझ गए की तुमने ही हमारे मृणालो की चोरी की है। तुमने ऐसा क्यों किया। इतने में शून्यःसख बोले आप सभी से ज्ञान का उपदेश का उपदेश लेने के लिए मैने ऐसा किया। आप मुझे इन्द्र समझे में शून्यः सख नहीं हूं।

कमल की नाल को मृणाल माना जाता है। देवराज इंद्र ने सप्त ऋषियों से ऐसा कह कर अपना अपमान होने के बाद भी अपमान नही माना ओर ज्ञान व हितकारी उपदेश प्राप्त कर लिया।

सौजन्य : भंवरलाल