नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद पर नोटबंदी के असर को महत्वहीन करार दिया और बीते तीन वर्षो से रोजगार विहीन विकास के लिए हो रही सरकार की आलोचनाओं को भी खारिज कर दिया।
केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार के तीन साल पूरे होने पर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नोटबंदी से पूर्व वैश्विक मंदी सहित ऐसे अनेक कारक रहे, जिनका देश की अर्थव्यवस्था पर सम्मिलित असर पड़ा है, खासकर बीते वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान।
जेटली ने कहा कि रोजगार विहीन विकास की बात विपक्ष का कुप्रचार है, जिनके पास सरकार के प्रदर्शन पर कहने के लिए कुछ भी ठोस नहीं है।
उन्होंने एक जुलाई से देशभर में लागू होने के लिए तैयार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर उठी शंकाओं को भी खारिज कीं।
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जेटली ने कहा कि सरकार ने बीते तीन वर्षो के दौरान तीन प्रमुख क्षेत्रों में असर डाला है। वह क्षेत्र हैं निर्णय लेने की क्षमता (यहां तक कि कठिन फैसले), फैसले लेने का स्पष्ट दृष्टिकोण एवं बाजार प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की इजाजत और जन संसाधनों के आवंटन में अधिकतम राजस्व उगाही।
जेटली से जब नोटबंदी के असर के बारे में पूछा गया, जो बुधवार को जारी जीडीपी के आंकड़ों से स्पष्ट हो चुका है, जेटली ने कहा कि जिसे आप बिल्कुल स्पष्ट कह रहे हैं, वह स्पष्ट नहीं है। त्रुटिपूर्ण विश्लेषणों से प्रभावित न हों। जीडीपी पर अनेक कारकों का असर पड़ता है। पिछले साल नोटबंदी से पहले से ही साफ तौर पर मंदी का असर था। वैश्विक कारकों का भी असर पड़ा है।
जेटली ने कहा कि आपने जो मुद्दा (नोटबंदी) उठाया है, उसका दो तिमाहियों पर असर हो सकता है।
बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बीते वित्त वर्ष 2016-17 की आखिरी तिमाही में जीडीपी विकास दर में तेज गिरावट दर्ज की गई। इस अवधि में जीडीपी दर 6.1 रही, जबकि बीते पूरे वित्त वर्ष के दौरान देश की जीडीपी वृद्धि दर 7.1 फीसदी दर्ज की गई। पिछले वर्ष आठ फीसदी के करीब थी।
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अपने तर्को को पुष्ट करने के लिए जेटली ने कहा कि सेवा एवं वित्तीय सेक्टर की विकास दर नोटबंदी के पहले से ही धीमी चल रही है, जबकि ये सेक्टर अमूमन 9-10 फीसदी की दर से विकास करते हैं।
जेटली ने कहा कि ये कुछ सम्मिलित कारक हैं, जिनका असर भी पड़ा है। भारत में 7-8 फीसदी की विकास दर सामान्य हो चली है, जो वैश्विक मानकों के आधार पर तार्किक भी है और भारतीय मानकों के आधार पर भी।
उन्होंने एक जुलाई से देशभर में लागू होने के लिए तैयार प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कारण भी देश का आर्थिक विकास धीमा पड़ने की संभावना को खारिज कर दिया।
इस सवाल का जवाब देने के लिए प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम आगे आए। उन्होंने कहा कि जीसएटी से वास्तव में कीमतें कम होंगी और खर्चो में इजाफा होगा।
रोजगार विहीन विकास के विपक्ष के दावों के जवाब में जेटली ने कहा कि कुछ लोगों ने इसे कुप्रचार की सामग्री बना ली है।
उन्होंने कहा कि शुरुआत में वे कह रहे थे कि यह सिर्फ पिछले सुधारों में और वृद्धि जैसा है, न कि कोई आमूलचूल सुधार। जीएसटी के बाद अब उनका कहना है कि यह रोजगार विहीन विकास है। जब अर्थव्यवस्था विकास करती है तो रोजगार पैदा होता है..औपचारिक एवं अनौपचारिक क्षेत्रों में रोजगार पैदा हुए हैं। अनौपचारिक क्षेत्र को लेकर कोई सर्वेक्षण नहीं हुआ है।
जेटली ने जीएसटी के क्रियान्वयन के लिए सरकार की तैयारियों को लेकर उठी शंकाओं को खारिज करते हुए कारोबार जगत से जीएसटी का अनुपालन करने के लिए तैयार रहने को कहा, क्योंकि जीएसटी के लागू होने की तारीख में अब कोई परिवर्तन नहीं होने वाला।
जेटली ने कहा कि जीएसटी लागू करने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है और अब तक हम इस पर सभी की सहमति हासिल करने में सफल रहे हैं। जीएसटी परिषद की श्रीनगर में हुई पिछली बैठक में करीब सभी राज्यों के मंत्रियों ने जीएसटी लागू करने के लिए एक जुलाई की तारीख पर सहमति व्यक्त की। हम एक जुलाई से इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं।
पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा द्वारा जीएसटी को एक जुलाई को लागू किए जाने की तैयारियों पर जताई गई शंका के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में जेटली ने ये बातें कहीं।
जेटली ने यह भी कहा कि बैंकों के बुरे ऋण को लेकर लाए गए गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) अध्यादेश के तहत आने वाले कुछ दिनों में कार्रवाई की जाएगी, ताकि शीर्ष 40-50 फीसदी कर्ज न अदा करने वालों पर लगाम लगाई जा सके।
जेटली ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने नियमों के तहत कोशिशें कर रही है। अब आने वाले कुछ दिनों में अध्यादेश के तहत कार्रवाई की रूपरेखा तैयार कर ली जाएगी..आने वाले दिनों में इस दिशा में सक्रियता दिखाई देगी।