माउण्ट आबू। इच्छाशक्ति और कुछ करने की चाह हो तो कोई क्या नहीं कर सकता। यह बात माउण्ट आबू के एक मजदूरी करने वाले युवक ने सिद्ध कर दिया। अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अपने बलबूते पर पदक लाकर सुनील लुम्बानिया ने देश के साथ माउण्ट आबू का भी नाम रोशन किया। इतना ही नहीं लुम्बानिया की सफलता ने इस दावे को भी मजबूत कर दिया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में देश का नाम करने वाली प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन जरूरत इन्हें पहचान कर तराशने की है।
सुनील ने 23 फरवरी को भूटान में करीब 21 किलोमीटर की द्वितीय इन्टरनेशनल हाफ मैराथन प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। उसने 1 घंटा व 18 मिनट में अपनी दौड़ पूरी कर इस प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। सुनील इस पर्यटक स्थल के एक होटल में दैनिक मजदूरी का काम करने वाले सुनील लुम्बानिया ने माउण्ट आबू, अहमदाबाद व देश के अन्य भागों में हुई मैराथन दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया हुआ है, लेकिन विड़बना यह है िक इस युवका को योग्य ट्रेनर और कोच की सहायता नहीं मिली। दौडने के शौक ने सुनील को इस मुकाम तक पहुंचा दिया। सुनील का छोटा भाई ब्रजेश लुम्बानिया भी रोजाना मैराथन का अभ्यास करता है। माउण्ट आबू व अहमादाबाद में ब्रजेश भी पदक जीत कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुका है।