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कुंबले के अनुबंध मुद्दे से निपटने के तरीके पर रामचंद्र गुहा ने उठाए सवाल - Sabguru News
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कुंबले के अनुबंध मुद्दे से निपटने के तरीके पर रामचंद्र गुहा ने उठाए सवाल

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कुंबले के अनुबंध मुद्दे से निपटने के तरीके पर रामचंद्र गुहा ने उठाए सवाल
Ramchandra Guha hits out at MS dhoni, gavaskar, rahul dravid in resignation letter
Ramchandra Guha hits out at MS dhoni, gavaskar, rahul dravid in resignation letter
Ramchandra Guha hits out at MS dhoni, gavaskar, rahul dravid in resignation letter

नई दिल्ली। बीसीसीआई को चलाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर गठित प्रशासक समिति से इस्तीफा देने वाले जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने बीसीसीआई द्वारा भारतीय क्रिकेट टीम के कोच अनिल कुंबले के अनुबंध को संभाले जाने के तरीके पर सवाल खड़े किए हैं।

इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रशासक समिति की ‘चुप्पी’ से लग रहा है कि वह भी इस मामले में ‘शामिल’ है।

प्रशासक समिति के चेयरमैन विनोद राय को लिखे एक पत्र में गुहा ने कहा कि पिछले सीजन में राष्ट्रीय टीम का रिकॉर्ड शानदार रहा है और इसका अधिकतर श्रेय खिलाड़ियों को जाता है, लेकिन कुछ श्रेय के हकदार टीम के मुख्य कोच और उनका स्टॉफ भी है।

राय को लिखे पत्र में गुहा ने कहा कि न्याय और योग्यता के आधार पर देखा जाए, तो मुख्य कोच (कुंबले) के अनुबंध की अवधि को बढ़ाना चाहिए था। इसके बजाए कुंबले को अधर में लटका दिया गया और फिर कहा गया कि इस पद के लिए फिर से आवेदन मांगे गए हैं।

गुहा ने साफ तौर पर कहा कि इस मुद्दे को बीसीसीआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और बीसीसीआई के पदाधिकारियों द्वारा बेहद ‘असंवेदनशील और गैरपेशेवाराना तरीके’ से संभाला गया है और दुर्भाग्य से इसमें अपनी चुप्पी और कोई कदम न उठाने के कारण प्रशासक समिति भी भागीदार बन गई है।

गुहा ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 30 जनवरी को दिए गए आदेश को दोहराया जिसमें कहा गया है कि सीओए बीसीसीआई के प्रबंधन को संभालेगी। उन्होंने कहा कि अगर कुंबले के कोच पद की अवधि समाप्त होने में एक साल रह गया था, तो नए कोच की नियुक्ति के लिए आवेदन प्रक्रिया को अप्रेल या मई में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के दौरान क्यों शुरू नहीं किया गया?

गुहा ने कहा कि अगर सच में कप्तान और मुख्य कोच की नहीं बन रही थी तो फिर इस प्रक्रिया को आस्ट्रेलिया सीरीज के समापन के बाद ही क्यों शुरू नहीं किया गया? इसे अंतिम मिनट के लिए क्यों छोड़ दिया गया, जबकि एक महत्वपूर्ण टूर्नामेंट की शुरुआत होने वाली है और अनिश्चितता कोच, कप्तान और टीम के मनोबल और फोकस को प्रभावित कर सकती है?

उन्होंने कहा कि इस सबमें यह साफ नजर आ रहा है कि टीम के वरिष्ठ खिलाड़ियों को कोच के ऊपर वीटो पॉवर होने का संकेत दे दिया गया है जोकि सुपरस्टर संस्कृति के बेलगाम हो जाने का एक और उदाहरण है।

गुहा ने कहा कि इस प्रकार का वीटो पॉवर किसी भी देश के किसी भी खेल में किसी भी उच्चस्तर की पेशेवर टीम को नहीं दिया जाता। इसी पॉवर के कारण अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों से अलग आज के भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों को यह तक चुनने का हक मिल गया है कि कमेंट्री टीम का सदस्य कौन होगा।

गुहा ने कहा कि अगर यही हाल रहा तो आज बात कोच की है, कल को यह (खिलाड़ियों का यही वीटो पावर) चयनकर्ताओं और बोर्ड पदाधिकारियों पर भी क्या लागू नहीं हो जाएगा?