भोपाल/मंदसौर। मध्य प्रदेश में कर्ज माफी और फसल के वाजिब दाम की मांग को लेकर आंदोलनरत किसानों पर मंगलवार को मंदसौर में पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में पांच किसानों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए हैं।
राज्य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने हालांकि पुलिस की ओर से गोली चलने की बात से इंकार किया है। बिगड़ते हालात को देखते हुए मंदसौर शहर और पिपलिया मंडी क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया गया है। साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ने कहा कि पुलिस की गोली में पांच किसानों की जान गई है और कई अन्य घायल हुए हैं। मृतकों में बबलू पाटीदार, सरेंद्र पाटीदार, कन्हैया, अखिलेश (छात्र), और सत्यनारायण शामिल हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार राज्य में किसान अपनी मांगों को लेकर मंगलवार सुबह से अलग-अलग स्थानों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। नीमच-मंदसौर मार्ग पर स्थित पिपलिया मंडी में भी किसान सड़कों पर उतरे।
मध्यप्रदेश में किसानों का आंदोलन जारी, किसान नेता अरेस्ट
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किसानों ने सड़क से गुजरते ट्रकों से सब्जी और फलों को फेंकना शुरू कर दिया। कई वाहनों पर पथराव किया और तोड़फोड़ की। पुलिस बल और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों ने किसानों को खदेड़ने की कोशिश की।
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसानी शुरू की तो किसानों ने पथराव कर दिया। पुलिस ने भी पत्थरों का इस्तेमाल किया। इसी दौरान पुलिस ने गोलीबारी शुरू कर दी।
सबसे पहले गोली बबलू पाटीदार को लगी, एक मोटरसाइकिल सवार बबलू को अपनी मोटर साइकिल से लेकर मंदसौर जिला अस्पताल की ओर बढ़ा, उस पर भी पुलिस वालों ने लाठियां बरसाई। बबलू की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो गई।
बबलू पाटीदार को अस्पताल लेकर पहुंचे व्यक्ति ने संवाददाताओं को बताया कि बबलू के बाद सुरेंद्र पाटीदार और कन्हैया की अस्पताल में मौत हुई। कॉलेज के छात्र अखिलेश को गोली लगी।
आंदोलन से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि मंदसौर से इलाज के लिए इंदौर ले जाते वक्त छात्र अखिलेश व सत्यनारायण की मौत की भी मौत हो गई।
पुलिस गोलीबारी के बाद किसान और उग्र हो गए हैं और उन्होंने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है, मगर आक्रोषित लोग सड़कों पर हैं और उत्पात कर रहे हैं।
इसके पहले उज्जैन मंडलायुक्त बी़ एम़ ओझा ने बताया था कि उग्र किसानों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को गोलीबारी करनी पड़ी, जिसमें कम से कम दो किसानों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए हैं। गोलीबारी की घटना अपराह्न लगभग दो बजे घटी।
उज्जैन रेंज के पुलिस महानिरीक्षक वी मधु कुमार ने बताया है कि मंदसौर शहर और पिपलिया मंडी क्षेत्र में कर्फ्यू लगाया गया है, और पुलिस हालात पर नजर रखे हुए है।
दूसरी ओर, राज्य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने भोपाल में संवाददाताओं से कहा कि गोली पुलिस ने नहीं, बल्कि आंदोलन में घुस आए सरारती तत्वों ने चलाई है, जिनसे पुलिस सख्ती से निपटेगी।
इसके पहले मंदसौर के पुलिस अधीक्षक ओ़ पी़ त्रिपाठी ने कहा कि सोमवार देर रात दालोद पुलिस चौकी क्षेत्र में किसानों ने प्रदर्शन किया और रेलवे क्रासिंग का गेट तोड़ दिया। इसके अलावा, पटरियों के बीच के स्लीपर पर लगे लोहे के एंगल को नुकसान पहुंचाया, लेकिन यातायात ज्यादा देर प्रभावित नहीं हुआ।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंदसौर की घटना पर भोपाल में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आपात बैठक की और मामले की न्यायिक जांच कराने की घोषणा की।
शिवराज ने घटना पर दुख जताते हुए किसानों के आंदोलन को हिंसक रूप देने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है, और मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए की राहत राशि देने की घोषणा की है।
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मंदसौर की घटना को सरकार की नकामी बताई है। कांग्रेस ने मंदसौर हादसे की जांच के लिए विधायकों की समिति भी बनाई है और दोनों नेता बुधवार को मंदसौर जाएंगे।
गौरतलब है कि राज्य के किसान एक जून से 10 जून तक की हड़ताल पर हैं। उनकी मांग कर्ज माफी व फसल का उचित दाम है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से आठ रुपए प्रति किलोग्राम प्याज खरीदने के साथ एक हजार करोड़ रुपए का मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाने का ऐलान किया है।
भारतीय किसान संघ ने मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद आंदोलन को रविवार को स्थगित कर दिया था, लेकिन भारतीय किसान यूनियन, आम किसान यूनियन ने हड़ताल जारी रखने का ऐलान किया है। इस हड़ताल को राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ का भी समर्थन मिल गया है।
किसानों की हड़ताल के चलते राजधानी में दूध की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। वहीं कई स्थानों पर महंगे दाम पर दूध बिक रहा है। इसी तरह के हालात कई अन्य इलाकों में भी है, क्योंकि सब्जी मंडी और दुग्ध केंद्रों तक नहीं पहुंच पा रहा है। नीमच और इंदौर में भी किसानों ने आंदोलन किया।