कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस में सभी जिम्मेदारियों से मुक्त किये जाने के साथ ही मुकुल राय के अगले कदम को लेकर राजनीतिक हलकों में तरह-तरह की अटकलें शुरू हो गई है।
कभी तृणमूल में ममता बनर्जी के बाद दूसरे नंबर के नेता रह चुके मुकुल राय पार्टी द्वारा दरकिनार किये जाने के बाद नई रणनीति बनाने में जुटे हैं। हालांकि अभी वे अपनी रणनीति का खुलासा नहीं करना चाहते।
दूसरी तरफ राज्य के राजनीतिक गलियारों में मुकुल राय के भाजपा खेमे में जाने की अटकलें भी चल रही हैं। हालांकि भाजपा का प्रदेश नेतृत्व उन्हें पार्टी में शामिल करने के खिलाफ है।
भाजपा प्रदेश इकाई के नेताओँ का मानना है कि सारदा मामले में मुकुल राय की संलिप्तता उजागर होने के बाद उन्हें साथ लेना बंगाल में पार्टी को मंहगा पड सकता है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा इस बारे में केंद्रीय नेताओं को पहले ही आगाह कर चुके हैं।
तृणमूल के साथ मुकुल की दूरी बढने का सबसे महत्वपूर्ण कारण सारदा मामला ही है। इस मामले में सीबीआई मुकुल राय से पूछताछ कर चुकी है। पूछताछ के बाद ही मुकुल ने पार्टी लाईन के खिलाफ जाकर मामले की जांच में सीबीआई को हर तरह से सहयोग करने का भरोसा दिलाया।
गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस सारदा कांड की सीबीआई जांच को राजनीति से प्रेरित बताती रही है। इसके बाद से ही पार्टी नेतृत्व ने मुकुल राय के पर कतरने शुरू कर दिये और एक के बाद एक उनके सभी पद उनसे छीन लिये गये।
इसके बाद से मुकुल राय ने दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओँ राजनाथ सिंह, अमित शाह व अरुण जेटली के साथ मुलाकात की जिसके बाद ही उनके भाजपा के साथ जाने की अटकलें लगनी शुरू हो गई।
हालांकि पार्टी के प्रदेश इकाई ने केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष साफ कर दिया है कि मुकुल राय को पार्टी में शामिल करने से राज्य में उसके उत्थान की संभावनाओं को जोरदार झटका लगेगा। अब देखना है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश इकाई की चिंताओँ को समझता है अथवा मुकुल राय के लिये दरवाजा खोल कर जोखिम भरा दाव खेलने का फैसला करता है।