नई दिल्ली। कांग्रेस ने महात्मा गांधी को ‘चतुर बनिया’ कहने के लिए शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह से माफी मांगने की मांग की।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि देश के राष्ट्रपिता के बारे में अमित शाह की टिप्पणी उनका अपमान है। यह आजादी की लड़ाई तथा स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है। क्या समस्त संघर्ष केवल एक व्यापार था? क्या राष्ट्र निर्माण एक व्यापार था?
उन्होंने सवाल किया कि इस तरह की अपेक्षा सत्ता का व्यापार करने वाले अमित शाह तथा भाजपा से ही की जा सकती है। क्या महात्मा गांधी अब अपनी जाति से जाने जाएंगे?
अमित शाह ने महात्मा गांधी को बताया ‘चतुर बनिया’, बोले जानते थे कांग्रेस की कमजोरी
सुरजेवाला ने कहा कि महात्मा गांधी को व्यापार मॉडल से जोड़कर उन्होंने उन बलिदानों का अपमान किया है, जो आजादी की लड़ाई के दौरान दिए गए। अंग्रेजों ने हिंदू महासभा तथा संघ का इस्तेमाल केवल देश के बंटवारे के उद्देश्यों को साधने के लिए किया।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद वे दलितों तथा कमजोर तबकों को दबाने के साधन बन गए। यह उनका असली चेहरा तथा चरित्र है।
शाह की आलोचना करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि गांधी की पहचान जाति से कर अमित शाह ने अपने असली चेहरे, चरित्र तथा मानसिकता को जाहिर कर दिया है।
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उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि आजादी की लड़ाई के अपमान को लेकर अमित शाह, भाजपा तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देशवासियों तथा स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों से माफी मांगनी चाहिए। शाह ने एक संगीन जुर्म और राजद्रोह से संबंधित काम किया है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक जनसमूह को संबोधित करते हुए शुक्रवार को शाह ने कहा था कि कांग्रेस किसी एक विचारधारा या सिद्धांत पर आधारित पार्टी नहीं है, आजादी प्राप्त करने का एक स्पेशल पर्पज व्हीकल, आजादी प्राप्त करने का एक साधन था। इसीलिए महात्मा गांधी दूरदर्शी थे, वह एक बहुत चतुर बनिया थे। उनको मालूम था कि क्या होने वाला है, उन्होंने आजादी के बाद तुरंत कहा था कि कांग्रेस को भंग कर देना चाहिए।
शाह ने कहा कि यह काम महात्मा गांधी ने नहीं किया, लेकिन अब कुछ लोग उसको भंग करने का काम पूरा कर रहे हैं। उन्होंने यह बात इसलिए कही थी, क्योंकि कांग्रेस की कोई विचारधारा ही नहीं थी, सिद्धांतों के आधार पर बनी हुई पार्टी नहीं थी और देश या सरकार चलाने का उसके पास कोई सिद्धांत नहीं था।