सिरोही. नगर परिषद् चुनावों को लेकर कांग्रेस और भाजपा को अपने पांच साल के अतीत का भूत सता रहा है. खुद भाजपा के स्थानीय पदाधिकारी और कार्यकर्ता जानते हैं कि नगर परिषद में उनके पार्षदों की पिछले पांच सालों की भूमिका से शहर की जनता संतुष्ट नहीं है और इसका खामियाजा उन्हें आगामी नगर परिषद चुनावों में भुगतना पड़ सकता है।
पाटी सूत्रों की मानें तो शुक्रवार को सिरोही के डाक बंगले में नगर परिषद चुनावों से पूर्व शहर का फीडबैक लेने आए राजसमंद सांसद और भाजपा प्रदेश महामंत्री हरिओमसिंह राठौड़ के सामने यह सब बातें उठी भी। यह बात भी सामने आई कि यदि सत्ता और संगठन के बीच में यदि सही तालमेल रहा तो इस बार नगर परिषद में भाजपा अपना बोर्ड बनाने में सफल हो सकती है।
इसके लिए जरूरी शर्तें भी सामने रखी गई, जिसमें नगर परिषद में पिछलीे पांच साल में हुई अनियमितताओं की जांच की रिपोर्ट के आधार पर चुनाव से पहले कार्रवाई, शहर में बेहतर चिकित्सा व्यवस्था के प्रति सरकार का संकल्प, शहर की पेयजल व्यवस्था को सुदृढ करने के लिए प्रस्ताव शामिल था। बैठक के दौरान सिरोही शहर में अधिकारियों की नियुक्ति और नगर परिषद में सहवृत पार्षदों की नियुक्ति में संगठन के स्थानीय पदाधिकारियों से चर्चा नहीं करने पर भी नाराजगी जताई गई।
आरोप यह भी लगा कि नगर परिषद के वर्तमान कांग्रेस बोर्ड में हुई अनियमितताओं को अंजाम देने वालों संरक्षण देने का काम सत्ताधारी दल के कुछ लोग कर रहे हैं और कर्मठ कार्यकर्ताओं ने इसे आगामी चुनाव में पार्टी के लिए खतरनाक भी माना। बाद में पत्रकारों से चर्चा में खुद राठौड ने यह कहा कि वह सिरोही नगर परिषद की राज्य सरकार के स्तर पर लम्बित जांचों के संंबंध में प्रदेश को देंगे।
बैठक में यह बात भी आई कि आगामी नगर परिषद चुनावों में टिकिट देने से पूर्व सांसद व विधायकों के अलावा संबंधित जिलाध्यक्ष व नगर अध्यक्ष की राय भी शुमार की जाए। बैठक में सांसद देवजी पटेल, भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी, महामंत्री विरेन्द्रसिंह चौहान, नगर अध्यक्ष बाबूलाल सगरवंशी, नेता प्रतिपक्ष सुरेश सगरवंशी समेत कई पदाधिकारी शामिल थे।