मुंबई। शिवसेना ने यहां मंगलवार को कहा कि भारत में रहने वाले मुसलमान यदि विशेष सुविधाएं चाहते हैं तो उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए। शिवसेना ने अपने मुखपत्र “सामना” में कहा कि यदि वे (मुसलमान) इस देश से कुछ चाहते हैं, तो पहले भारत को अपनी मातृभूमि स्वीकार करें और “वंदे मातरम” बोलें।
कहा जा रहा है कि “सामना” में प्रकाशित लेख एक मार्च को ऑल इंडिया इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के नागपुर में दिए गए भाषण की प्रतिक्रिया स्वरूप आया है, जहां उन्होंने महाराष्ट्र में मराठियों की तरह ही मुसलमानों को भी आरक्षण देने की मांग की थी।
शिवसेना ने ओवैसी की बात पर रोष जताते हुए और अपना रूख दोहराते हुए कहा कि आरक्षण की नीति सामाजिक मानदंडों पर आधारित होनी चाहिए, न कि धर्म के तर्ज पर। शिवसेना ने कहा कि गरीब मुसलमानों को आरक्षण दिया जाना चाहिए। इसलिए नहीं कि वे मुसलमान हैं, बल्कि इसलिए कि वे भारत का नागरिक है।
पार्टी ने सभी लोगों से, खासकर हिन्दुओं और मुसलमानों से यह विचारधारा को अपनाने की अपील करते हुए कहा कि इससे ही वोट बैंक एवं आरक्षण की राजनीतिक खत्म हो सकती है और देश की प्रगति में मदद मिल सकती है।
शिवसेना ने कहा कि ओवैसी कह रहे हैं कि चूंकि मराठी लोगों को आरक्षण मिला है, तो मुसलमानों को भी मिलना चाहिए। यह कट्टर मुसलमानों का वही हिंदू विरोधी जिद्दी रवैया है, जिसकी वजह से भारत का विभाजन हुआ था और उन्होंने पाकिस्तान बनाया था। लेकिन अब और नहीं।
“सामना” में प्रकाशित लेख में कहा गया कि मुसलमानों को समान नागरिक संहिता स्वीकार करनी होगी, परिवार नियोजन अपनाना होगा और जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 की मांग छोड़नी होगी।
ओवैसी के भाषण को “राष्ट्र-विरोधी” करार देते हुए शिवसेना ने इसकी जांच कराए जाने की मांग की कि कहीं उन्होंने महाराष्ट्र में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए तो इस तरह का बयान नहीं दिया। पार्टी ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस से इस पर मुद्दे पर कार्रवाई करने की मांग की।