मुंबई। भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह तथा शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे बीच रविवार को एक अहम बैठक से पहले गुरुवार को सत्ताधारी भाजपा और शिवसेना के बीच तकरार हो गई।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने दोहराया कि भाजपा महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार है और वह अपने बूते जीत दर्ज करेगी। फड़णवीस का यह बयान शिवसेना के सांसद संजय राउत के उस हालिया बयान के प्रतिक्रिया स्वरूप आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर भाजपा किसानों का ऋण माफ करने में नाकाम रही, तो उनकी पार्टी समर्थन वापस ले लेगी।
फड़णवीस ने संवाददाताओं से कहा कि कुछ लोगों ने कहा था कि वे समर्थन वापस ले लेंगे और सरकार को गिरा देंगे। हम मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार हैं। अगर वे हमें मध्यावधि चुनाव के लिए बाध्य करते हैं, तो मुझे विश्वास है कि हम एक बार फिर सरकार बनाएंगे।
वित्तमंत्री सुधीर मुंगंतिवार ने एक अन्य कार्यक्रम में इसी तरह का बयान दिया। भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह रविवार को शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं के बीच मुलाकात का मुख्य एजेंडा आगामी राष्ट्रपति चुनाव पर केंद्रित हो सकता है।
पार्टी पदाधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि दोनों नेताओं के बीच यह बैठक रविवार को बांद्रा पूर्व स्थित ठाकरे निवास मातोश्री में होगी।
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महाराष्ट्र की सत्ता में भाजपा के साथ साझीदार शिवसेना हाल के दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस की आलोचना करती रही है। इसे देखते हुए यह बैठक भाजपा के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
सत्तारूढ़ भाजपा के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा करते हुए उसकी सहयोगी शिवसेना किसानों के लिए ऋण माफी और राज्य से जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर राज्य की विपक्षी पार्टियों के साथ खड़ी हो गई है।
शाह बैठक में ठाकरे को मनाने और आगामी राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार के लिए उनका समर्थन जुटाने की कोशिश कर सकते हैं।
शिवसेना ने किसान आंदोलन से जूझ रहे पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर भी हमला बोला है।
शिवसेना मंदसौर में हाल ही में पुलिस की गोलीबारी में मारे गए किसानों के परिवारों से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और गुजरात पाटीदार नेता हार्दिक पटेल समेत विपक्षी पाटियों के नेताओं को मिलने की अनुमति न देने को लेकर भी चौहान सरकार से नाराज है।
सेना ने गुरुवार को अपने मुखपत्रों ‘सामना’ और ‘दोपहर का सामना’ में एक संपादकीय में लिखा था, “यह गलत है..अगर ऐसे ही जारी रहा, तो यह देश के लोकतंत्र के लिए खतरा बन जाएगा।”