नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को जब भारतीय जनता पार्टी का प्रवक्ता नियुक्त किया गया था, तो उन्होंने कहा था कि इस्लाम तथा ईसाई भारत के लिए बाहरी धर्म हैं।
कोविंद ने 26 मार्च, 2010 को भाजपा मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता में कहा था कि न्यायाधीश रंगनाथ मिश्रा की सिफारिशों को लागू नहीं किया जाना चाहिए और उन्होंने इस कदम को ‘असंवैधानिक’ करार दिया था। न्यायाधीश रंगनाथ मिश्रा की सिफारिशों में मुसलमान तथा ईसाई धर्म अपनाने वाले दलितों को अनुसूचित जाति में रखने की बात कही गई थी।
उस वक्त एक संवाददाता ने उनसे पूछा था कि फिर सिख तथा दलित उसी श्रेणी में आरक्षण का लाभ कैसे उठा सकते हैं? तो उन्होंने कहा था कि इस्लाम तथा ईसाई देश के लिए बाहरी धर्म हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने 25 मार्च को दिए अपने फैसले में पिछड़े मुसलमानों को नौकरियों में चार फीसदी आरक्षण के आंध्र प्रदेश सरकार के फैसले को बरकरार रखा था।
अनुसूचित जाति तथा जनजातियों के लिए काम कर चुके राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वफादार रहे कोविंद ने कहा था कि मिश्रा कमेटी की सिफारिशों को लागू करना संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति श्रेणी में मुसलमानों तथा ईसाइयों को शामिल करना असंवैधानिक होगा।
देश में केवल हिंदू, सिख तथा बौद्ध संप्रदाय में दलितों को आरक्षण मिलता है। और तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने अनुसूचित जाति श्रेणी के तहत आरक्षण का लाभ दलित ईसाई तथा मुसलमानों को भी देने का विचार किया था।
कोविंद ने कहा कि अनुसूचित जाति के बच्चों का शैक्षणिक स्तर मुसलमान धर्म अपनाने वाले दलितों के शैक्षणिक स्तर से कम होता है। इस तरह इस्लाम अपनाने वाले दलित अधिकांश सरकारी नौकरियों पर कब्जा कर लेंगे। वे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने के योग्य हो जाएंगे। यह धर्मातरण को बढ़ावा देगा, जो भारतीय समाज के ताने-बाने को नष्ट कर देगा।
दो बार राज्यसभा सांसद रहे कोविंद को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को राजग की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है। वह सन् 1998 से 2002 तक भाजपा दलित मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं।