जयपुर। राजस्थान के भरतपुर में जाट समुदाय ने शनिवार को दूसरे दिन एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करने के बाद अपना आंदोलन खत्म करने का आह्वान किया। यह समुदाय रोजगार में आरक्षण देने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा है।
भरतपुर के पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार टांक ने कहा कि उच्चस्तरीय सरकारी प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के बाद जाट समुदाय ने आंदोलन खत्म करने का निर्णय लिया।
शुक्रवार को यहां राजधानी जयपुर से 170 किलोमीटर दूर भरतपुर जिले में आंदोलनकारियों ने सड़क और रेल सेवाओं को बुरी तरह प्रभावित किया था।
एक प्रभावी जाट नेता और भरतपुर रियासत के पूर्व शासक रहे विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि हमें राज्य सरकार की ओर एक लिखित बयान मिला है, जिसमें कहा गया है कि भरतपुर और धौलपुर जिलों में जाट समुदाय के सामाजिक-आर्थिक दशा के सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित आयोग की रपट पर मंत्रिमंडल की पहली बैठक में चर्चा की जाएगी।
राजस्थान में भरतपुर और धौलपुर जिलों के जाटों को छोड़कर राज्य के बाकी हिस्सों में जाट समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग में आता है, जो अब समान दर्जे की मांग कर रहे हैं। आयोग का गठन 2016 में किया गया था और इसने अपनी रिपोर्ट गुरुवार को सौंपी है।
कांग्रेस विधायक ने कहा कि राज्य सरकार ने उन्हें विश्वास दिलाया है कि वे सहानुभूतिपूर्वक उनकी मांगों पर विचार करेंगे। सिंह ने कहा कि मैंने अपने समुदाय के सदस्यों से सड़क और रेल मार्गो से हटने का अनुरोध किया है।
आंदोलनकारियों ने शुक्रवार को भरतपुर और धौलपुर जिलों के खासकर भरतपुर से मथुरा, जयपुर और आगरा के बीच की सड़कों और रेल मार्गो को बाधित किया था। ये सड़क और रेलमार्ग जिलों के विभिन्न नगरों को आपस में जोड़ते हैं।
इसके चलते जयपुर, आगरा और मथुरा सेक्टरों की कई रेल सेवाएं स्थगित कर दी गई थीं। इसने महत्वपूर्ण दिल्ली-मुंबई सेक्टर को प्रभावित किया था। आंदोलनकारियों ने भरतपुर से दिल्ली, डीग, अलवर, आगरा और मथुरा के बीच पड़ने वाली सड़कों को भी बाधित किया था।