जयपुर। देश में आपातकाल लागू होने के 42वें साल पूरे होने के मौके पर रविवार को बीजेपी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए मुसीबत बने एमएलए घनश्याम तिवाड़ी का उनके श्यामनगर स्थित आवास मातृमंदिर पर जोरदार स्वागत किया गया।
आपातकाल के दौरान जेल में रहे तिवाडी ने कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि उस समय देश में घोषित रूप से आपातकाल लागू किया गया था, मौजूदा दौर में राज्य में अघोषित आपातकाल लागू है। लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का भी हनन किया जा रहा है।
तिवाड़ी ने मुख्यमंत्री एवं मौजूदा राजे सरकार की कार्यप्रणाली पर तंज कसते हुए कहा कि तब आपातकाल था और ये आफ़तकाल है। राजस्थान में मुख्यमंत्री रि सामन्तवाद सोच और लूट से जनता त्रस्त है।
आपातकाल के अनुभव सुनाते हुए तिवाड़ी ने कार्यकर्ताओं को बताया कि आपातकाल के दौरान अखबारों के सम्पादकीय तक पर रोक लगा दी गई थी। अभिव्यक्ति तक की आजादी छीन ली गई थी। उस समय मैं भी जेल में गया, यातनाएं सहीं और मैंने भूमिगत रहकर भी संघर्ष को बरक़रार रखा।
डीडवाना के दोषियों पर कार्रवाई हो
हाल ही में डीडवाना में लगे देश विरोधी नारों पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि उन सहित सैकड़ों लोगों ने जीवनभर इस लिए संघर्ष नहीं किया था कि भाजपा की ही सरकार में देश के विरोध में नारे लगे और नारे लगाने वालों को सरकार के एक मंत्री का संरक्षण प्राप्त हो। उन्होंने मंच से सरकार को चेताया कि यदि डीडवाना के दोषियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई तो दीनदयाल वाहिनी द्वारा पूरे प्रदेश में विरोध किया जाएगा।
सामन्तवादी सोच का प्रतीक है मंत्री वेतन संशोधन विधेयक
तिवाड़ी ने कहा कि बंगला नम्बर 13 राजस्थान की जनसंपदा की लूट का प्रतीक और प्रमाण बन गया है। यह प्रमाणित करता है कि किस प्रकार मुख्यमंत्री राजे जनता द्वारा दी गई सत्ता का दुरुपयोग करती हुई जनता की ही सम्पत्ति को लूट रही हैं। हमारा विरोध इस सामंतवादी सोच से है।
इस विधेयक के माध्यम से आज मुख्यमंत्री को ने अपने लिए इस प्रकार की सुविधाएं जुटाई गई है, कल को मंत्री, उसके बाद विधायक, फिर अधिकारी अपने लिए इस प्रकार की सुविधाओं की मांग करेंगे और भविष्य में ये परम्परा पड़ जाएगी। ये पूरा विधेयक ही उस सामंतवादी सोच और जागीरदारी प्रथा की मानसिकता का प्रतीक है। हमारा विरोध इसी सोच से है।
किसानों के लिए काला क़ानून है एसआईआर बिल
कार्यक्रम के दौरा दीन दायाल वाहिनी के प्रदेश सचिव अखिलेश तिवाड़ी ने कहा कि सरकार द्वारा पारित राजस्थान विशेष विनिधान विधेयक किसानों के लिए काला क़ानून है। सरकार और कारपोरेट की मिलीभगत से लगाए गए इस बिल से सरकार किसी भी किसान की ज़मीन कभी भी, किसी भी हालत में हथिया सकती है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन विधेयक के साथ ही वाहिनी राजस्थान विशेष विनिधान विधेयक का भी प्रबल विरोध करती है। जब तक सरकार इस काले क़ानून को वापस नहीं ले लेती है। तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने दोनों विधेयकों के मुख्य अंश पढ़ कर वहां उपस्थित कार्यकर्ताओं को सुनाए।
कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन दीनदयाल वाहिनी के जयपुर शहर अध्यक्ष विमल अग्रवाल एवं जयपुर देहात अध्यक्ष अशोक विजयवर्गीय ने किया। कार्यक्रम को गिरधारी तिवाड़ी, अशोक विजय, कैलाश शर्मा, महेंद्र मीणा, शिव कुमार सैनी, विक्रम यादव, विजय शर्मा आदि ने भी सम्बोधित किया।
रैली के रूप में गए तिवाड़ी, पुलिस ने किया अरेस्ट
मंच से उद्बोधन के उपरांत हज़ारों की संख्या में कार्यकर्ता उनके आवास मातृमंदिर से रैली के रूप में घनश्याम तिवाड़ी के साथ गए। पुलिस द्वारा रोके जाने पर तिवाड़ी ने कहा कि हमारा संघर्ष जनसंपदा की रक्षा का है इसलिए कार्यकर्ता शांतिपूर्ण रूप से लौट जाएं तथा किसी क़ानून की अवहेलना न करें। वे अकेले ही सत्याग्रह के लिए जाएंगे, क्योंकि अकेले आदमी पर धारा 144 लागू नहीं होती।
इसके बाद कार्यकर्ताओं ने उन्हें अकेले सत्याग्रह के लिए रवाना किया। पुलिस ने जब उन्हें आगे नहीं जाने दिया तो उन्होंने पूछा कि आख़िर किस क़ानून के तहत उन्हें रोका जा रहा है? वे अकेले आदमी हैं, सड़क पर पैदल चल रहे हैं। उन्हें कैसे रोका जा सकता है?
बाद में पुलिस ने उन्हें श्याम नगर मेट्रो स्टेशन के करीब गिरफ़्तार कर लिया। गिरफ़्तारी के बाद पुलिस उन्हें अपने साथ जालुपुरा थाने ले गई। जहां से बाद में उन्हें धारा 129 के अंतर्गत छोड़ दिया गया। रिहाई के बाद वे जालुपुरा स्थित अपने सरकारी आवास भी गए और कार्यकर्ताओं से मिले।
आगे बढ़ाया जाएगा आंदोलन
वाहिनी द्वारा जनचेतना जागृत करने के लिए यह पहला कार्यक्रम था। आगे पूरे प्रदेश में वाहिनी एसआईआर (SIR) तथा राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन विधेयक के विरोध में आंदोलन करेगी। कार्यक्रम की अभूतपूर्व सफलता के लिए तिवाड़ी ने सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया।