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कुंडली में मंगल का प्रभाव जातक को बनाता है ऊर्जावान - Sabguru News
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कुंडली में मंगल का प्रभाव जातक को बनाता है ऊर्जावान

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कुंडली में मंगल का प्रभाव जातक को बनाता है ऊर्जावान
importance and effects of mangal and effects of mangal dosha
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ज्योतिषशास्त्र में मंगल को एक शक्तिशाली ग्रह बताया गया है। यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल का प्रभाव रहता है, तो उसे मांगलिक कहा जाता है और मंगल दोष का निवारण करने के लिए विभिन्न उपाय किए जाने लगते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि जातक की कुंडली में मंगल का प्रभाव उसे ऊर्जावान तो बनाता ही है, साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में सफलता अर्जित करता है।
दरअसल, प्रत्येक दंपत्ति की चाहत होती है कि उनके घर में भी बच्चे की किलकारी सुनाई दें, जिसे सुनकर मन को आत्मिक संतुष्टि प्रदान हो। बच्चे की प्रत्येक चाहत को पूरा करने के लिये व्यक्ति किसी भी हद तक जाने को तैयार रहता है।
बच्चे का जन्म होने पर पंडित या ज्योतिषी यह बताता है कि बच्चे पर मंगल का दोष है अर्थात् मांगलिक है तो व्यक्ति परेशान हो जाता है कि बच्चे के विवाह में परेशानियाँ आएंगी। किसी मंगली कन्या से ही विवाह करना होगा। कई बार तो व्यक्ति बच्चे की कुण्डली ही बदलवा देते हैं, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए, आँख बंद कर लेने से रात हो गई है, ऐसा भ्रम मन में नहीं रखना चाहिए। सर्वप्रथम हमें यह समझना होगा कि जिसे हम मंगल दोष मान रहे हैं, असल में वो दोष नहीं बल्कि योग है।
मंगल ऊर्जावान ग्रह है और यदि ये किसी भी प्रकार लग्न, राशि, तृतीय या जिस भाव को देखते हैं, उस भाव से संबंधित विषयों पर ऊर्जा प्रवाह करते हैं, यदि लग्न में है तो व्यक्ति ऊर्जावान होगा, कभी किसी से चर नहीं मानेगा। ऐसे ही परिणाम प्रत्येक भाव में अलग-अलग मिलते हैं।

चतुर्भिश्च चतुर्भिश्च द्ववाभ्यां पञ्यभिश्ेवच।
हृयते च पुर्नदेवाभ्यां स में विष्णु: प्रसदितु।।

अर्थात् लग्न को जानने के लिये चतुर्थ को जानना आवश्यक है, चतुर्थ के सुख को जानने के लिए चतुर्थ से चतुर्थ अर्थात् सप्तम को जानना, सप्तम से द्वितीय, अष्टम भाव से मृत्यु, शारीरिक वि’छेद जानो व अष्टम से पंचम द्वादश भाव हुआ, जो कि मोक्ष का स्थान है, द्वादश से द्वितीय लग्न हुआ।
लग्न:- त्रिकोण का शीर्ष शिव हैं।
सप्तम:- शक्ति त्रिकोण का शीर्ष ऊर्जा है,
4,8,12 – मोक्ष स्थान है और इन्हीं स्थानों पर स्थित मंगल को मांगलिक दोष युक्त बताया गया है।
जब मंगल ऐसे शुभ स्थानों पर होंगे तो दोष कैसे हो सकता है, मेरे अनुसार तो योग होगा, दोष इसलिए कह देते होंगे कि मांगलिक व्यक्ति में ऊर्जा इतनी होगी की साधारण व्यक्ति से उसकी तुलना नहीं की जा सकती, उसके लिये बराबर का ऊर्जावान साथी ही चाहिए।
किसी भी व्यक्ति में ये योग हो तो हमें यह समझना चाहिए की यह व्यक्ति जीवन में कभी भी असफल नहीं होगा। यदि किसी गोचरवश या खराब ग्रह की महादशा वश असफल हुआ तो भी सफलता के लिये संघर्ष करता हुआ मिलेगा।

 

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