नई दिल्ली। पंजाब के पटियाला से रियलिटी शो ‘सा रे गा मा पा’ का सफर तय कर बॉलीवुड में पैर जमाने वाले गायक कमाल खान किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। ‘डर्टी पिक्चर’ के ‘इश्क सूफियाना’ गीत से घर-घर में मशहूर हुए कमाल अपने नए गीत ‘चादरा’ से एक बार फिर लोगों के दिल पर अपनी आवाज का जादू चला रहे हैं।
2010 के ‘सा रे गा मा पा’ विजेता कमाल मानते हैं कि आज वह जिस मुकाम पर हैं, उसका श्रेय वह इस रियलिटी शो को देते हैं।
कमाल को हाल ही में अक्षय कुमार की फिल्म जॉली ‘एलएलबी 2’ के ‘जूठ बोलिया’ गीत से काफी प्रशंसा मिली थी। ‘डर्टी पिक्चर’ के ‘इश्क सूफियाना’ में अपनी मदभरी आवाज के लिए कमाल ने जी सिने अवॉर्ड्स का पुरस्कार जीता था।
‘इश्क सूफियाना’ के बाद करियर में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर कमाल ने बताया कि इश्क सूफियाना से मेरे करियर में बहुत बदलाव आया। यह मेरे करियर का टर्निग प्वाइंट था। मैंने इसके बाद बहुत प्रसिद्धि हासिल की।
हर किसी की जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आता है जब लंबे संघर्ष के बाद उसे उसका फल मिलता है, और इसके बाद जीवन बदल जाता है। मेरा जीवन इस गीत के बाद काफी बदल गया और मुझे इसके बाद बेहतरीन प्रस्ताव मिलना शुरू हो गए।
कमाल हिंदी के अलावा पंजाबी और अर्बन गीतों में भी महारत रखते हैं। कमाल को फिल्म ‘तीस मार खां’ के ‘वल्लाह वल्लाह’ ‘लव एक्सप्रेस’ के ‘रॉकिग शॉकिंग फैमिली’, ‘फ्यूचर तो ब्राइट है’ के ‘अंखिया नू रहन दे’ और करीना कपूर व इमरान खान अभिनीत फिल्म ‘गोरी तेरे प्यार में’ के ‘नयना’ गीत से काफी सराहना मिली है। इसके साथ ही उन्होंने कई पंजाबी फिल्मों में अपनी आवाज का लोहा मनवाया है।
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कमाल अपने नए पंजाबी गीत ‘चादरा’ के साथ दर्शकों पर जादू चला रहे हैं। अपने नए गीत के बारे में कमाल ने कहा कि इस गाने के जरिए मैंने अपनी छवि तोड़ने की कोशिश की है। अब तक लोग यही सोच रहे थे कि कमाल केवल सूफियाना या रोमांटिक गाने ही गा सकता है, इस गाने को सुनने के बाद उनका ख्याल बदल जाएगा। मेरा यह गाना करने का उद्देश्य भी यही था कि लोग यह जान सकें कि मैं अलग-अलग तरह के गाने भी गा सकता हूं।
कमाल ने अपना करियर 19 साल की उम्र में शुरू किया था। 2010 के ‘सा रे गा मा पा’ जीतने के बाद शुरू हुआ सिलसिला बदस्तूर जारी है। इस सफलता के लिए किसे धन्यवाद देना चाहेंगे, इस पर उन्होंने कहा कि मैं इसके लिए अपने माता-पिता और ईश्वर को धन्यवाद दूंगा। माता-पिता की दुआओं से ही मैं यहां तक पहुंचा हूं।
पाश्र्व गायन या मंच पर सजीव प्रस्तुति दोनों में क्या पसंद है, इस पर उन्होंने कहा, “मुझे दोनों ही पसंद है हालांकि मंच पर सबसे सामने गाना किसी स्टूडियो में गाने से ज्यादा कठिन होता है और यहीं पर गायक की असली परख होती है। स्टूडियो में हम बहुत सारे री-टेक ले सकते हैं लेकिन मंच पर यह संभव नहीं है।”
आजकल टेलीविजन पर रियलिटी शो की भरमार है, जो युवाओं और बच्चों की प्रतिभा को निखार रहे हैं। रियलिटी शो को कितना सफल मानते हैं, “रियलिटी शो की सफलता का सबसे बड़ा उदाहरण मैं हूं। मैंने जो हासिल किया उसका श्रेय ‘सा रे गा मा पा’ को जाता है। मैंने 2010 में यह शो जीता था और इन सात सालों में मैंने बहुत कुछ हासिल किया है। ऐसे शो युवाओं को दिशा दे रहे हैं। यह शो छोटे-छोटे शहरों व गांवों की प्रतिभा को निखारने और उन्हें आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं और उसमें सफल भी हो रहे हैं।